Friday, 17 February 2012

वो  बोलते  थे  जब  ,
ज़माने  का  शोर  , शोर  न  था  ,
वो  चुप  हुए   तो  ,
सांस  भी  शोर  लगता  है  !!
...........
मैं  ढूंढता  हूँ  छाँव  , जो  जलती  दोपहरी  में  मिले  ,
जैसे  तन्हाईओं  के  बाद  , अपना  कोई  मिले  !!
...........
पल  पल  रुलाता  रहा  जिंदगी  को  ,
अब  जिंदगी  रुलाती  है  पल  पल  मुझे !!
............

तेरी  चुप  से  आँधियों  का  अहसास  ,
जाने  क्यों  हवाओं  में  तैर  तैर  गया  !!
..........
मैं  जो  भी  कहूँ  जब  भी कहूँ , उसे  मान  लेना  तुम ,
तुम  मेरे  साँसों  में  हो , उलट  के  आयें  न  आयें  फिर !!
........
जामियें  महाराज  , जो  परोसा  ,  सिर्फ  आपका  ,
मैं  तो  जो  बचा  खा  लूँगा  !
बिल्ली  के  हिस्से  तो  जो  आये  ,  वो  प्रशाद ,
शेर  जी  महाराज ,  पचा  लूँगा !
यहाँ  तो  खटमल  पिस्सू  की  भी  मौज  हो  रही  ,
आप  तो  देश  के  हैं  करणधार !
ना  ना  मेरा  परिचय  ना  पूछिए  ,  सर्वत्र  व्याप्त हूँ ,
जो  ऊपर  या  नीचे  से  दे ,  सिर्फ  उसका !
फिर  आप  तो  सबसे  ऊपर  विराजे  महाराज ,  क्या  करें ,
आपका  सेवक  वफादार  !
ना  ना  जनता  का  कुछ  पूछिए  भी  मत  श्रीमान ,
उनका  ना  कोई  आधार  !
अजी  चिंता  नको ,  जामियें  महाराज ,  जो  परोसा  , सिर्फ  आपका  ,
मैं  जो  बचा  खा  लूँगा !!   
...............
घुंघरुओं को  बाँध  ना  चल  ज़माने  में ,
देखनी  है  परिंदों  की  मौज  अगर  !
बिल्लिओं की  मानिंद  रख  चाल , मगर ,

नीयत  में  खोट  ना  रख  सहम  जायेंगे !!    

No comments:

Post a Comment