कुछ तो था मेरा क़ुसूर , कुछ लगाई ज़माने ने ,
आग में झुलसता घर , अब उंगलिओं के इशारों पे है !!
............
ना तो भूल पाऊंगा ज़माने में , ना भूल पाऊंगा ज़माने बाद ,
वो तल्ख़ तल्ख़ नज़रें तेरी , एहसान मुझपे कर गयीं आज !!
............
बहुत रात बीते , इक ख्याल के ,
मैं हूँ अकेला , दगा दे गया ,
मुझे सपनों की दुनियां से अलग ले गया ,
मेरी नींदों को ले गया , उड़ा आसमान ,
और यादों का गट्ठर मुझे दे गया !!
............
खामियां तुम देखो तो हैं ,
और ना देखो तो भी हैं मुझमें ,
मेरा अंतर जानता है सब ,
पर तुम बताओ तो अच्छा ,
और ना बताओ तो और भी अच्छा !!
..............
नूरे माह फिर उतरी है शरारा बनकर ,
जाने किस महफ़िल को जलना है आज !!
आग में झुलसता घर , अब उंगलिओं के इशारों पे है !!
............
ना तो भूल पाऊंगा ज़माने में , ना भूल पाऊंगा ज़माने बाद ,
वो तल्ख़ तल्ख़ नज़रें तेरी , एहसान मुझपे कर गयीं आज !!
............
बहुत रात बीते , इक ख्याल के ,
मैं हूँ अकेला , दगा दे गया ,
मुझे सपनों की दुनियां से अलग ले गया ,
मेरी नींदों को ले गया , उड़ा आसमान ,
और यादों का गट्ठर मुझे दे गया !!
............
खामियां तुम देखो तो हैं ,
और ना देखो तो भी हैं मुझमें ,
मेरा अंतर जानता है सब ,
पर तुम बताओ तो अच्छा ,
और ना बताओ तो और भी अच्छा !!
..............
नूरे माह फिर उतरी है शरारा बनकर ,
जाने किस महफ़िल को जलना है आज !!
No comments:
Post a Comment