मेरे फायदे से नुक्सान ना हो ज़माने का ,
तो घाटे में चलता हूँ यारो !
पर ये ज़माना ही कहता है मुझे ,
मूर्ख है साला , पहले दर्जे का !!
.............
देख के मेरा लहज़ा औ लज्ज़त जुबां की ,
यार को शक है की मैं , मैं ना रहा !!
...........
आंसू बोले तो हैं , पर रो रो ,
और पोंछ के मातम मना लिया उसने !!
..........
खुदा के घर रिंद का जाना ना हुआ ,
अपना समझ लौट आया बार बार !!
...........
ख़ुदा की मेहरबानी से ,
ख़ुदा को वो ख़ुदा नहीं कहते ,
और ख़ुदा बख्शता उन्हें भी है ,
जो ख़ुदा नहीं कहते ,
ख़ुदा की बख्शिशें बरसती हैं बन्दों पर , बराबर ,
ख़ुदा है वो आखिर ख़ुदा ,
कोई उसको यूँ ही ख़ुदा नहीं कहते !!
............
जुबां के तीर , हुए जिगर के पार ,
खूँ सूख गया , बस धुंआ निकला !!
...........
जुबां के तीर , हुए जिगर के पार ,
खूँ सूख गया , बस धुआँ निकला !!
.........
मुहब्बत है ज़मानें से मुझे ,
पर इतनी नहीं कि मर जाऊं मैं !
तो घाटे में चलता हूँ यारो !
पर ये ज़माना ही कहता है मुझे ,
मूर्ख है साला , पहले दर्जे का !!
.............
देख के मेरा लहज़ा औ लज्ज़त जुबां की ,
यार को शक है की मैं , मैं ना रहा !!
...........
आंसू बोले तो हैं , पर रो रो ,
और पोंछ के मातम मना लिया उसने !!
..........
खुदा के घर रिंद का जाना ना हुआ ,
अपना समझ लौट आया बार बार !!
...........
ख़ुदा की मेहरबानी से ,
ख़ुदा को वो ख़ुदा नहीं कहते ,
और ख़ुदा बख्शता उन्हें भी है ,
जो ख़ुदा नहीं कहते ,
ख़ुदा की बख्शिशें बरसती हैं बन्दों पर , बराबर ,
ख़ुदा है वो आखिर ख़ुदा ,
कोई उसको यूँ ही ख़ुदा नहीं कहते !!
............
जुबां के तीर , हुए जिगर के पार ,
खूँ सूख गया , बस धुंआ निकला !!
...........
जुबां के तीर , हुए जिगर के पार ,
खूँ सूख गया , बस धुआँ निकला !!
.........
मुहब्बत है ज़मानें से मुझे ,
पर इतनी नहीं कि मर जाऊं मैं !
No comments:
Post a Comment