Wednesday, 1 February 2012

क्षितिज  खाली  है  अभी , 
चाँद  सितारों  के  आने  से  पहले  कुछ ,
टांको  तुम  भी  यार !
तुम  भी  लाओ  किसी  चंचल  सितारे  को  ढूंढ ,
जो  चिढ़ाए जीभ  बाहर  निकाल  ,
नक्कालों  को ,  जो  किसी  नेता  की  पीठ  पे  सवार हो  ,
चमक  लेते  हैं  साल  दो  साल !
जो  समा  जाते  हैं  किसी  ब्लैक होल में ,
बुझे  तारे  की  तरह  , 
मांगे  हुए  सम्मान  को  संग  लेकर !
क्षितिज  खाली  है  अभी  ,
ढूंढो  फिर  कोई  डाक्टर  वेणुगोपाल  ,
जो  ठुकरादे  प्रलोभन  संसार  भर  के  ,
अपने  दश  पे  जीवन  न्योछावर  करने  को  ,
और  चिढ़ाए  जीभ  बहार  निकाल  ,
उन  नक्कालों  को  ,  जो  किडनी  बाहर  निकाल ,
करते  हैं  मानव  अंगों  का  व्यापार  ,
और  उन  नेताओं  को  जो  ,
संस्थानों  को  अपनी  निजी  जायदाद  मानते  हैं !
और  समा  जाते  हैं  ,  इतिहास  के  पन्नों  में  किसी  ,
डरावनी  कहानी  की  तरह !
क्षितिज  खाली  है  अभी  ,
ढूंढो  फिर  किसी  भलखू  को  ,
जो  बालों  में  जुओं  को  पाले  ,
राह  दिखाए  अग्रेज़ी  इन्जीनिअर्स  को  ,
और  रेल  की  पटड़ी  निकलवादे  ,
कालका  से  शिमला  तक  ,  नंगे  पाँव ,
और  चिढ़ाए  उन  नक्कालों  को , जिनके बनाए  पुल ,
गिर  जाते  हैं  ,  उद्घाटन  से  पहले  ही  ,
और  समा  जाते  हैं  जो  ,  बिकी  ,
सरकारी  सीमेंट  की  बोरियों  के  साथ !
क्षितिज  खाली  है  अभी  ,
क्षितिज  खाली  है  अभी !!
   
      

No comments:

Post a Comment