क्षितिज खाली है अभी ,
चाँद सितारों के आने से पहले कुछ ,
टांको तुम भी यार !
तुम भी लाओ किसी चंचल सितारे को ढूंढ ,
जो चिढ़ाए जीभ बाहर निकाल ,
नक्कालों को , जो किसी नेता की पीठ पे सवार हो ,
चमक लेते हैं साल दो साल !
जो समा जाते हैं किसी ब्लैक होल में ,
बुझे तारे की तरह ,
मांगे हुए सम्मान को संग लेकर !
क्षितिज खाली है अभी ,
ढूंढो फिर कोई डाक्टर वेणुगोपाल ,
जो ठुकरादे प्रलोभन संसार भर के ,
अपने दश पे जीवन न्योछावर करने को ,
और चिढ़ाए जीभ बहार निकाल ,
उन नक्कालों को , जो किडनी बाहर निकाल ,
करते हैं मानव अंगों का व्यापार ,
और उन नेताओं को जो ,
संस्थानों को अपनी निजी जायदाद मानते हैं !
और समा जाते हैं , इतिहास के पन्नों में किसी ,
डरावनी कहानी की तरह !
क्षितिज खाली है अभी ,
ढूंढो फिर किसी भलखू को ,
जो बालों में जुओं को पाले ,
राह दिखाए अग्रेज़ी इन्जीनिअर्स को ,
और रेल की पटड़ी निकलवादे ,
कालका से शिमला तक , नंगे पाँव ,
और चिढ़ाए उन नक्कालों को , जिनके बनाए पुल ,
गिर जाते हैं , उद्घाटन से पहले ही ,
और समा जाते हैं जो , बिकी ,
सरकारी सीमेंट की बोरियों के साथ !
क्षितिज खाली है अभी ,
क्षितिज खाली है अभी !!
चाँद सितारों के आने से पहले कुछ ,
टांको तुम भी यार !
तुम भी लाओ किसी चंचल सितारे को ढूंढ ,
जो चिढ़ाए जीभ बाहर निकाल ,
नक्कालों को , जो किसी नेता की पीठ पे सवार हो ,
चमक लेते हैं साल दो साल !
जो समा जाते हैं किसी ब्लैक होल में ,
बुझे तारे की तरह ,
मांगे हुए सम्मान को संग लेकर !
क्षितिज खाली है अभी ,
ढूंढो फिर कोई डाक्टर वेणुगोपाल ,
जो ठुकरादे प्रलोभन संसार भर के ,
अपने दश पे जीवन न्योछावर करने को ,
और चिढ़ाए जीभ बहार निकाल ,
उन नक्कालों को , जो किडनी बाहर निकाल ,
करते हैं मानव अंगों का व्यापार ,
और उन नेताओं को जो ,
संस्थानों को अपनी निजी जायदाद मानते हैं !
और समा जाते हैं , इतिहास के पन्नों में किसी ,
डरावनी कहानी की तरह !
क्षितिज खाली है अभी ,
ढूंढो फिर किसी भलखू को ,
जो बालों में जुओं को पाले ,
राह दिखाए अग्रेज़ी इन्जीनिअर्स को ,
और रेल की पटड़ी निकलवादे ,
कालका से शिमला तक , नंगे पाँव ,
और चिढ़ाए उन नक्कालों को , जिनके बनाए पुल ,
गिर जाते हैं , उद्घाटन से पहले ही ,
और समा जाते हैं जो , बिकी ,
सरकारी सीमेंट की बोरियों के साथ !
क्षितिज खाली है अभी ,
क्षितिज खाली है अभी !!
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