वो बोलते थे जब ,
ज़माने का शोर , शोर न था ,
वो चुप हुए तो ,
सांस भी शोर लगता है !!
...........
मैं ढूंढता हूँ छाँव , जो जलती दोपहरी में मिले ,
जैसे तन्हाईओं के बाद , अपना कोई मिले !!
...........
पल पल रुलाता रहा जिंदगी को ,
अब जिंदगी रुलाती है पल पल मुझे !!
............
मैं जो भी कहूँ जब भी कहूँ , उसे मान लेना तुम ,
जामियें महाराज , जो परोसा , सिर्फ आपका ,
नीयत में खोट ना रख सहम जायेंगे !!
ज़माने का शोर , शोर न था ,
वो चुप हुए तो ,
सांस भी शोर लगता है !!
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मैं ढूंढता हूँ छाँव , जो जलती दोपहरी में मिले ,
जैसे तन्हाईओं के बाद , अपना कोई मिले !!
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पल पल रुलाता रहा जिंदगी को ,
अब जिंदगी रुलाती है पल पल मुझे !!
............
मैं जो भी कहूँ जब भी कहूँ , उसे मान लेना तुम ,
तुम मेरे साँसों में हो , उलट के आयें न आयें फिर !!
........
जामियें महाराज , जो परोसा , सिर्फ आपका ,
मैं तो जो बचा खा लूँगा !
बिल्ली के हिस्से तो जो आये , वो प्रशाद ,
शेर जी महाराज , पचा लूँगा !
यहाँ तो खटमल पिस्सू की भी मौज हो रही ,
आप तो देश के हैं करणधार !
ना ना मेरा परिचय ना पूछिए , सर्वत्र व्याप्त हूँ ,
जो ऊपर या नीचे से दे , सिर्फ उसका !
फिर आप तो सबसे ऊपर विराजे महाराज , क्या करें ,
आपका सेवक वफादार !
ना ना जनता का कुछ पूछिए भी मत श्रीमान ,
उनका ना कोई आधार !
अजी चिंता नको , जामियें महाराज , जो परोसा , सिर्फ आपका ,
मैं जो बचा खा लूँगा !!
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घुंघरुओं को बाँध ना चल ज़माने में ,
देखनी है परिंदों की मौज अगर !
बिल्लिओं की मानिंद रख चाल , मगर ,नीयत में खोट ना रख सहम जायेंगे !!
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