पैमाना ए दिल छल्का है पहली बार ,
नूरे सहर ऐसा ही होता है क्या ?
नूरे माह ऐसी ही होती है क्या ?
.........
महज़ कालिख देखी दिल की मेरी ,
जलाया किसने ? ना पूछा इक बार !!
........
दिल खाली है उनका , ना बोल ,
खाली इक बद्दुआ और दिल की तबाही है !!
...........
लाज़िम नहीं लहजा अंगूरी हो तेरा ,
पर तुर्श हो जाए जिगर लाज़िम है क्या ?
..........
लफ़्ज़ों को उसने देदी तरज़ीह ,
ना देखा उसने अश्कों का सैलाब !
गिला उसने किया मेरे गिले का ,
ना देखा उसने , बर्बादी है क्या !!
.............
हर्फ़ दिख जाएँ तेरे काफी है ,
कागज़ में मज़मून लिख ,मैं नहीं कहता !
इक नज़र ही काफी है पैमाने पे तेरी ,
हाथों में मेरे दे दे , मैं नहीं कहता !!
.........
कर आये मेरे खवाबों का क़त्ल वो , वस्ल से पहले ,
इक कब्र में ख्वाब हैं ,और इक कब्र में हूँ मैं अब !!
नूरे सहर ऐसा ही होता है क्या ?
नूरे माह ऐसी ही होती है क्या ?
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महज़ कालिख देखी दिल की मेरी ,
जलाया किसने ? ना पूछा इक बार !!
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दिल खाली है उनका , ना बोल ,
खाली इक बद्दुआ और दिल की तबाही है !!
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लाज़िम नहीं लहजा अंगूरी हो तेरा ,
पर तुर्श हो जाए जिगर लाज़िम है क्या ?
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लफ़्ज़ों को उसने देदी तरज़ीह ,
ना देखा उसने अश्कों का सैलाब !
गिला उसने किया मेरे गिले का ,
ना देखा उसने , बर्बादी है क्या !!
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हर्फ़ दिख जाएँ तेरे काफी है ,
कागज़ में मज़मून लिख ,मैं नहीं कहता !
इक नज़र ही काफी है पैमाने पे तेरी ,
हाथों में मेरे दे दे , मैं नहीं कहता !!
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कर आये मेरे खवाबों का क़त्ल वो , वस्ल से पहले ,
इक कब्र में ख्वाब हैं ,और इक कब्र में हूँ मैं अब !!
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