Thursday, 16 February 2012

दिल  चाहता  है  मेरा  ,  कोई  दे  न  झूठी तसल्लियाँ ,
सच  बोलता  है  कोई  तो  ,  विश्वास   होता  नहीं  है  !!

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रिमोट  से  खेलते  खेलते , खुद  रिमोट  हो  गये  हम ,
रोबोट  हो  गये  हम ,  मोबाइल  हो  गये  हम !!
अब  पास  से  भी  आवाज़ ,कोई  दे  तो  ,  सुन  न  पाते ,
कानों  में  हैण्डज़  फ्री है ,  अपनों  से  दूर  गये  हम !!

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कौन  चला  ये  नेह  की  डगर  ,
जानता  भी  है  ,खतरे  हैं  बहुत ?
सफल  हो  गये  तो  हारोगे  बहुत ,
असफल  हो  गये  तो , अफसाना  बन  रहोगे !!
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कल कौन  जानें  हम  हों  ना  हों ,
क्यों  ना  आज  ही  करलें ,
सब  जिंदगी  से  सवाल ?
आज  ही  जान  लें  सब जिंदगी  के  उत्तर ,
कल  कौन  जानें  हम  हो  ना  हों  !
ये  उतावला  सा  होना  ,
भविष्य  जाननें  को ,
और  टाल  देना  सब  ,
करने  को  कल  को ,
ये  आदत  सी  हो  गयी है ,
आदमीं  को  क्यों ?
या  ये  मेरी  ही  गुटरगूं है ,
नींद  आने  से  पहले ,  और ,
पेट  भरने  के  बाद !!

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