सातों दिन और बारहों मॉस , रहो ना उदास तुम ,
इसलिए मौसम कई रंग के रच दिए मैंने , पर ,
तुम , फिर भी गिला करते हो , शरद में सर्दी का ,
ग्रीष्म में गर्मी का , बरसात में बारिश का ,
पतझड़ में आँधियों का , और बसंत में अलर्जी का ,
अब मौसम प्यार का लाया हूँ , जिसमें सावन के अंधे को ,
हरा ही हरा नज़र आता है , शायद खुश रह सको तुम अब !!
...........
सुर्ख़ियों में रहना सीख गये हैं वो अब ,
जब भी करते हैं , बात उल्टी करते हैं ज़मानें से !!
इसलिए मौसम कई रंग के रच दिए मैंने , पर ,
तुम , फिर भी गिला करते हो , शरद में सर्दी का ,
ग्रीष्म में गर्मी का , बरसात में बारिश का ,
पतझड़ में आँधियों का , और बसंत में अलर्जी का ,
अब मौसम प्यार का लाया हूँ , जिसमें सावन के अंधे को ,
हरा ही हरा नज़र आता है , शायद खुश रह सको तुम अब !!
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सुर्ख़ियों में रहना सीख गये हैं वो अब ,
जब भी करते हैं , बात उल्टी करते हैं ज़मानें से !!
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मैं ना ज़मानें का हूँ , ना ज़मानें के बाहर का ,
दर्द हूँ दिल जिगर का , जिसका होता हूँ छुपा लेता है मुझे !!...........
दिल को तोड़ आये तुम मेरे क्यों कर ,
बोले , बस देखना था , खिलौना चलता है कैसे !!
बोले , बस देखना था , खिलौना चलता है कैसे !!
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मुद्दत से तलाश में था , आज मिल भी गये अचानक वो ,
ना पूछो हुआ क्या क्या , लब सिले , बस सिले ही रहे !!
ना पूछो हुआ क्या क्या , लब सिले , बस सिले ही रहे !!
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सीधे सीधे बता दे यारा , अब कोई बात नई होती नहीं ,
ना तो दिल टूटे गम में , ना ख़ुशी में पगलाता हूँ !!............
खूँ ही था जो दिल में था , पर जम गया ना डर से क्यों ?
अरे जलाया हमदर्दों ने था , जब देखो उबलता है अब !!
अरे जलाया हमदर्दों ने था , जब देखो उबलता है अब !!
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सही को सही और गलत को गलत कहता , तो हूँ ,
पर सहता भी हूँ ख़ामियाज़ा बहुत , नुक्ताचीनियों का !!
पर सहता भी हूँ ख़ामियाज़ा बहुत , नुक्ताचीनियों का !!
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चाँद उतर आया था मेरे पास ,
लौटा मैनें दिया , तारों की उदासी जान !!
लौटा मैनें दिया , तारों की उदासी जान !!
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महफ़िलों में रंग नये थे पर , सरसराहट थी बहुत मेरे आने से ,
यार इस बेरंग बेनूर , बुढ़ऊ का कोई नगमा ग़ुम तो नहीं ?............
सिद्ध हस्तों के हाथों से भी कांच टूटे हैं कई बार ,
जाम टूटा है हाथों से मेरे , कोई बात नहीं , मदहोश था मैं !!..........
आज कोई बात है , छलका है जो पैमाना दिल का ,
पर जाहिर ही करो महफ़िल में , मैंने ना कहा !!
पर जाहिर ही करो महफ़िल में , मैंने ना कहा !!
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