दम निकले तो करें दफ़्न की रस्म ,
इस परेशानी में , यारों का दम निकला !!
……………
वो दफ़्न कर आये मुझे मुर्दा ,
मेरा आवारा दिल , अब मेरा बदन ढूंढें !!
……………..
दिल को महसूस हुआ क्या , मरना है क्या ?
क्या मालूम ?
वो तो था बेख़ुदी के आलम में !!
……………….
मौकाए वारदात पे घर था मेरा ,
पर इश्क की गवाही दे कौन ?
नज़रों के तीर चले इधर भी , उधर भी ,
कौन क़त्ल हुआ , कौन मुजरिम ? क्या जानूं !!
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