बंद थी पलकें मेरी और सोच में डूबी थी में ,
जाने क्यों एहसास तेरे होने का हो आया यूँ ,
जैसे चौंका दिया हो , गुंजार ने भंवरे की ,
अधखिली कली को , इक फूल बनाया हो ज्यों !!
..................
मेरी आँख भर आई , ज़माने बाद ,
तेरे जिक्र के बाद , महफ़िल में मेरा नाम आया !
किस्मत को मेरी कहिये क्या ,
मुद्दत बाद साक़ी का पयाम मेरे नाम आया !!
.................
प्रीत थी अपनों से तो , कड़वे बोल बोल आया ,
मालूम नहीं दवा समझेंगे वो , या समझेंगे रोग ,
मुझे तो जहर और अमृत दोनों में भेद नहीं ,
मैंने तो मिटाए हैं , दोनों से असाध्य माने गये रोग !!
जाने क्यों एहसास तेरे होने का हो आया यूँ ,
जैसे चौंका दिया हो , गुंजार ने भंवरे की ,
अधखिली कली को , इक फूल बनाया हो ज्यों !!
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मेरी आँख भर आई , ज़माने बाद ,
तेरे जिक्र के बाद , महफ़िल में मेरा नाम आया !
किस्मत को मेरी कहिये क्या ,
मुद्दत बाद साक़ी का पयाम मेरे नाम आया !!
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प्रीत थी अपनों से तो , कड़वे बोल बोल आया ,
मालूम नहीं दवा समझेंगे वो , या समझेंगे रोग ,
मुझे तो जहर और अमृत दोनों में भेद नहीं ,
मैंने तो मिटाए हैं , दोनों से असाध्य माने गये रोग !!
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