सितारों को मुंह पर ओढ़े लेटूं तब भी ,
चाँद झरोखों से नज़र आ जायेगा मुझे ,
सम्मोहन में मदारी के आ जाता हूँ मैं ,
मेरा कृष्ण कन्हईया तरसाता बहुत है !!
.........
उनसे निपटना आता है मुझे ,
गर्दन ना में हिलाते , हाँ कहता हूँ !!
.......
तुम चाहो मुझे , कहाँ कहता हूँ ?
हाँ कहदो तुम , कहाँ कहता हूँ ?
ना कहदो तो भी चलेगा मुझको ,
तेरे दिल में है हाँ , कहाँ कहता हूँ ?
..............
अजब धागे से बंधे दोनों हैं हम ,
खींचो तो छिटकते हैं , छोड़ो तो लिपटते हैं !!
चाँद झरोखों से नज़र आ जायेगा मुझे ,
सम्मोहन में मदारी के आ जाता हूँ मैं ,
मेरा कृष्ण कन्हईया तरसाता बहुत है !!
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उनसे निपटना आता है मुझे ,
गर्दन ना में हिलाते , हाँ कहता हूँ !!
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तुम चाहो मुझे , कहाँ कहता हूँ ?
हाँ कहदो तुम , कहाँ कहता हूँ ?
ना कहदो तो भी चलेगा मुझको ,
तेरे दिल में है हाँ , कहाँ कहता हूँ ?
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अजब धागे से बंधे दोनों हैं हम ,
खींचो तो छिटकते हैं , छोड़ो तो लिपटते हैं !!
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