Monday, 20 February 2012


मेरी   आँखें   घूमती   हैं   आज  ,
कल   घूमें   न   घूमें   कौन   जानें  ,
जुबां   चलती   है   मेरी   आज   ,
बंद   हो   जाए   कल   , कौन   जानें  ,
धड़कने  ,  धड़काती    हैं  दिल  मेरा   आज  ,
रुक   जाएँ   कल   अचानक   कौन   जानें  ,
मन   मचलता   है   जिज्ञासा   में  आज  ,
थक   जाए   कल   , है   किसे   पता   ,
पर   ये   श्रृष्टि   कल   भी   थी   ,
आज   भी   है   ,  और   रहेगी   कल   भी  ,
मैं   , बदलूँगा  , तुम   बदलोगे   ,
बदलेगा   हर  जड़   चेतन   सब  , बार   बार  ,
पर   रहेगा   ,  कुछ   हमेशा   ,
जिसे   जानता   ना   मैं   ,
और   , अचम्भे   में  , 
कह   देता   हूँ   उसे   ,  कभी   ईश्वर  ,
कभी   ,  ख़ुदा   ,  कभी   गौड   ,
कभी   प्रकृत   , कभी   जो   मन   चाहे  ,
जैसे   शिव  ,  एक   ओंकार  ,  या   कोई   ज्योति   ,  या   शक्ति  ,
जो   रहेगी   हमेशा   ,
और   हमेशा   रहेगी   इक   पहेली   सी  ,
इस   जगत   को   उल्झानें   को   ,  चलाने   को  !!

No comments:

Post a Comment