मेरी आँखें घूमती हैं आज ,
कल घूमें न घूमें कौन जानें ,
जुबां चलती है मेरी आज ,
बंद हो जाए कल , कौन जानें ,
धड़कने , धड़काती हैं दिल मेरा आज ,
रुक जाएँ कल अचानक कौन जानें ,
मन मचलता है जिज्ञासा में आज ,
थक जाए कल , है किसे पता ,
पर ये श्रृष्टि कल भी थी ,
आज भी है , और रहेगी कल भी ,
मैं , बदलूँगा , तुम बदलोगे ,
बदलेगा हर जड़ चेतन सब , बार बार ,
पर रहेगा , कुछ हमेशा ,
जिसे जानता ना मैं ,
और , अचम्भे में ,
कह देता हूँ उसे , कभी ईश्वर ,
कभी , ख़ुदा , कभी गौड ,
कभी प्रकृत , कभी जो मन चाहे ,
जैसे शिव , एक ओंकार , या कोई ज्योति , या शक्ति ,
जो रहेगी हमेशा ,
और हमेशा रहेगी इक पहेली सी ,
इस जगत को उल्झानें को , चलाने को !!
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