खुदाओं के शहर में , इक इंसान का घर , मुश्किल से नज़र आता है ,
और जो नज़र आता है मुश्किल से भरा नज़र आता है !!
...............
बसंती चुनर खींच दी खेतों में जा ,
उग आई है सरसों पीली पीली ,
उड़ी आसमान में पतंगें सब रंगों की ,
मेरे मन पागल खिल तो सही मद्धम मद्धम !
और जो नज़र आता है मुश्किल से भरा नज़र आता है !!
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बसंती चुनर खींच दी खेतों में जा ,
उग आई है सरसों पीली पीली ,
उड़ी आसमान में पतंगें सब रंगों की ,
मेरे मन पागल खिल तो सही मद्धम मद्धम !
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