Wednesday, 15 February 2012

सितारे  रोज़  मिलने  आते  रहे  मुझे  अँधेरे  में  ,
और  नादाँ  , मैं  समझा  रात  हुयी  !!
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चल  जीवन  कश्ती  पानी  में  बिन  डोले  ,
तेरे  पीछे  पानी  बस  जीत  ( v- for victory ) की  कहानी  बोले !!
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रे  मन  झगड़ा  किस  से  करे  तू  ? सपनों  से  ?
चल  फिर  , पूरे  हुए   तो  तेरे  , सपने  रहे  तो  मेरे  !!
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चन्द  घूँट  कड़वे  और  फिर  जलवा  ही  जलवा  देख  ,
जिंदगी  को  भी  कभी  पैमानों  की  मानिंद  देख  !!
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जालिम  बैठा  तो  है  दिल  के  अन्दर  ,
और  चैन  भी  दिल  को  ना  लेने  देता  !!
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जब्र  से  होता  ना  जो  , सब्र  करा  लेता  है  ,
जगता  है  तब  ख्वाब  , जब  आँखों  में  नींद  आती  है  !!
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दिक्कत  हुयी  उन्हें  बस  इतनी  , दिल  को  इक  बार  फिर  समझाना  पड़ा  !
साँसों  की  लड़ी  टूटे  कोई  बात  नहीं  , नादाँ  हैं  जज़्बात  , समझाना  पड़ा  !!

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