भावना में मनभावन ने रुला रुला दिया ,
अब दुनियाँ संभालो कोई निर्मोही बन !!
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अब दुनियाँ संभालो कोई निर्मोही बन !!
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मेरे ज़हीन नक्शानबीस कोई इमारत कर आमाल ,
ख़्वाबों में मेरे , मेरी नूरे नज़र आती है रोज़ रोज़ ,
आशुफ्तगी में मैं हूँ , और परेशाँ हूँ अलग ,
के ताजमहल से पेश्तर , जीनतकदः ख्वाबी मीनार हो !!
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नक्शानबीस ( draughtsman )
आमाल ( execute )
आशुफ्तगी ( anxiety )
पेश्तर ( better )
जीनतकदः ( प्रेयसी का सुसज्जित निवास स्थान )
मीनार ( tall light house )
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हालात मेरे काबू में रहें , चाहता तो हूँ ,
पर जिंदगी मेरे आगोश में , आये तो एक बार !
फिसलते हैं पल मेरे हाथों से , नाराज़ से ,
जैसे उनसे मेरा सदियों से , शरीकों सा बैर हो !!
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