Wednesday, 8 February 2012

किताबों  के  सवाल  औ  जवाब ,  किताबों  में  रहे  बंद  ,
जिंदगी  के  जवाब , नकदी   में  मिले  ठोकरों  से  मुझे  !
मुझे  मिलते  रहे  उधारी  में  भी  ज्ञान  , ज्ञानियों  से ,
पर  मेरा  मुकद्दर  था  ,  ठोकरें  , तो  खानी  थीं  मुझे !!

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अलग  अंदाज़  में  देखा  है  तुझे ,
भोर  का  तारा  देख  आये  तुम  ,
खिलती  कलियाँ  खोल  आये  तुम ,
बिखरी  शबनम समेट  आये  तुम ,
दामन  में  ख़ुशबू लपेट  आये  तुम ,
दोपहरी  का  चाँद  देख  आये  तुम ,
गोधूली  में  सूरज को  सिन्दूरी  पल  में ,
माँ  के  माथे  पे  टिका  आये  तुम ,
इससे  पहले  कि  बदलो  तुम ,
मेरे  मानस  पटल पे  लिख डालो  ,
मेरे  हो तुम ,  मेरे  हो  तुम !! 

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