किताबों के सवाल औ जवाब , किताबों में रहे बंद ,
जिंदगी के जवाब , नकदी में मिले ठोकरों से मुझे !
मुझे मिलते रहे उधारी में भी ज्ञान , ज्ञानियों से ,
पर मेरा मुकद्दर था , ठोकरें , तो खानी थीं मुझे !!
..........
अलग अंदाज़ में देखा है तुझे ,
भोर का तारा देख आये तुम ,
खिलती कलियाँ खोल आये तुम ,
बिखरी शबनम समेट आये तुम ,
दामन में ख़ुशबू लपेट आये तुम ,
दोपहरी का चाँद देख आये तुम ,
गोधूली में सूरज को सिन्दूरी पल में ,
माँ के माथे पे टिका आये तुम ,
इससे पहले कि बदलो तुम ,
मेरे मानस पटल पे लिख डालो ,
मेरे हो तुम , मेरे हो तुम !!
जिंदगी के जवाब , नकदी में मिले ठोकरों से मुझे !
मुझे मिलते रहे उधारी में भी ज्ञान , ज्ञानियों से ,
पर मेरा मुकद्दर था , ठोकरें , तो खानी थीं मुझे !!
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अलग अंदाज़ में देखा है तुझे ,
भोर का तारा देख आये तुम ,
खिलती कलियाँ खोल आये तुम ,
बिखरी शबनम समेट आये तुम ,
दामन में ख़ुशबू लपेट आये तुम ,
दोपहरी का चाँद देख आये तुम ,
गोधूली में सूरज को सिन्दूरी पल में ,
माँ के माथे पे टिका आये तुम ,
इससे पहले कि बदलो तुम ,
मेरे मानस पटल पे लिख डालो ,
मेरे हो तुम , मेरे हो तुम !!
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