Tuesday, 14 February 2012

धडकनों  की  कसम  , धड़कने  ना  देता  दिल  को  अकेले  में  ,
पर  तुमसे  ख्वाबों  में  मिलने  का  लालच  ,ले  आता  है  , आँखों  में  नींद  मेरी !!
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फिर  लिख  आया  हूँ  वही शब्द  पुराने ,
जिनपे ताजमहल  खड़े  होते  हैं ,  पानी   में ,
फिर  गुनगुना  आया  हूँ , शब्द  वही जाने  पहचाने ,
जिनपे  अफ़साने  घड़े  जाते  हैं  ,  हवा में ,
फिर  उट्ठा  है  शोर  मारो  काटो ,
घर  से  निकले  हैं दीवाने  दो  मिलने  को , ज़माने  में ,
पर  ये  तो  चलन  हमारा  नहीं  ,  बसने  दें ,
बनने  दें  प्यार  का  घर  दस्तूर  नहीं ,
आइ  ,  लव  यू  ,  कहने  वाले  जीने  के  हकदार  नहीं ,
इन्हें बस  इक  कहानी  ही  में  रहने  दो ,
या  फिर  पेड़ों  की  छालों  में  खुदा  रहने  दो ,
प्यार  को  अमरत्व  मिला  है  ,  जीवन  नहीं ,  चाहो  तो  अब  जीने  दो !!

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