जब से विकास में तेज़ी आई है ,
खिली हैं बांछें गधे की आँखों तक ,
अब गधे का काम या तो मशीनें करती हैं ,
या करते हैं कुछ गधे इमानदार !!
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पलकों ही में ठहरो , मुझे पीना आ गया है ,
आंसू शर्माए ऐसे , अब दिखते भी नहीं हैं !!
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गुफ़्तगू मुझ से भी कर लेना ,
अजनबी ही सही , साया हूँ तेरा !! ........................ तेरी उँगलियों पे नाचूं , कठपुतली हूँ तेरी ,
साए की क्या बिसात , देवदारों से परे हो जाए !!
............................ साज़ तो बज उठता है खुद से ,
जब उस्ताद की उंगलियाँ छू जाती हैं !!
खिली हैं बांछें गधे की आँखों तक ,
अब गधे का काम या तो मशीनें करती हैं ,
या करते हैं कुछ गधे इमानदार !!
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आधे अधूरे से पल हैं मेरे कुछ ,
पूरा होना जिनकी किस्मत में नहीं है !
वो मचल के सामने आते हैं कई बार ,
पर बनना बिगड़ी बातों का , इतना आसाँ नहीं है !!
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दीमक परेशाँ है आजकल ,
किताबें , कलेवे से गायब हो रहीं हैं ,
अपील कर रही हैं वो ,
उन्हें , एँडेंजर्ड स्पीसिज़ , घोषित किया जाए !!
किताबें , कलेवे से गायब हो रहीं हैं ,
अपील कर रही हैं वो ,
उन्हें , एँडेंजर्ड स्पीसिज़ , घोषित किया जाए !!
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आंसू की लड़ी को , यूँ ही बोल बैठा ,
के गिर के बिखरना , अच्छा नहीं है कुछ !पलकों ही में ठहरो , मुझे पीना आ गया है ,
आंसू शर्माए ऐसे , अब दिखते भी नहीं हैं !!
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हाय क्यों उंगलियाँ करती हो बगल में मेरी ,
मेरा मन तो पहले ही गुदगुदाता है , शरद में !
हाय आँखों के इशारे करे जाती हो क्यों ,
आने तो दो सजन को दहलीज़ पे घर की , शरद में !
मैं भी कर आऊंगी बदनाम जहां भर में फिर ,
तड़पाना मुझे भी आता है उंगलिओं से , शरद में !
सखी छोड़ो भी , छोड़ो भी , ज़िद न करो ,
कल आना फिर मिल बैठ , सताना जी भर , शरद में !!
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साए की क्या बिसात , देवदारों से परे हो जाए !!
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जब उस्ताद की उंगलियाँ छू जाती हैं !!
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