Wednesday, 1 February 2012

हार  आये  हैं  दिल -ओ- जान  ,
नगमा -ए -आरज़ू  में  हम  ,
अब  तो  ख़ुदा  ख़ैर  करे  !
ख़ाली  कर  आये  हैं  ,
गम  का  सैलाब  ,
अब  तो  ख़ुदा  ख़ैर  करे  !!
दिल  की  किताब  के  पन्ने  ख़ाली  थे  जो  ,
रंग  आये  उनको  भी  आज  ,
अब  तो  ख़ुदा  ख़ैर  करे  !
साहिलों  के  हौसले  जो  ख़स्ता  थे  ,
उनको  हम  ज़ुनून   का  दे  आये  तेज़ाब  ,
अब  तो  ख़ुदा  ख़ैर  करे  !!

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