तेरी निगाहों से पिया मैंने समंदर सा सुकूँ ,
अब तो मंदिर , मस्जिद , बेमानी हैं मेरे लिए ,
और फ़ानी है क़ुदरत का नज़ारा आदम को ,
बस बेख़ौफ़ मुहब्बत किये जाता हूँ अब !!
अब तो मंदिर , मस्जिद , बेमानी हैं मेरे लिए ,
और फ़ानी है क़ुदरत का नज़ारा आदम को ,
बस बेख़ौफ़ मुहब्बत किये जाता हूँ अब !!
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