Thursday, 23 February 2012

तेरी  निगाहों  से  पिया  मैंने समंदर  सा  सुकूँ ,
अब  तो  मंदिर , मस्जिद ,  बेमानी  हैं  मेरे  लिए ,
और  फ़ानी  है  क़ुदरत  का  नज़ारा  आदम  को ,
बस  बेख़ौफ़  मुहब्बत किये  जाता  हूँ  अब !!

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