Monday, 20 February 2012


मिल   जायेंगे   तुम्हें   भी   बहुत   से   नज़र   बट्टू   ,
ख़ुद   को   बचानें   को   ,  दुनियाँ   की   नज़र   से  ,
नज़र   जो   तुम्हें   लगता   है  ,  तुम्हें   लगती   है  ,
और   तुम   हो   जाते   हो   लगातार   असफल   ,  या   परेशान  ,
है   कोई   ज़मानें   में   जो   ,  तुम्हें   बढ़नें   नहीं   देता  ,
और   खुश   रहता   है   तुम्हारी   ,  परेशानी   में  ,
उसका   सारा   ध्यान   ख़ुद   से   अधिक  ,  रहता   है   ऊपर   तुम्हारे  ,
वो   अपनें   विकास   को   उपेक्षित    कर  ,  तुम्हें   गिराता   है  ,
पर   क्या   ये   सब   होता   है   हमेशा   , क्या   ये   है   केवल   सच  ?
कहीं   तुम  छुपते   तो   नहीं   हो   ,  मन   से   अपने   ?
जो   जानता   है   सब   कारण ,  तुम्हारी   असफलताओं   के  ,
तुम   उसे   रखते   तो   नहीं   नज़र बट्टू    के   पीछे   ,
ताकि   ज़माने   से   छुप   जाएँ   वो   और   असल   कारण   ?  और   तुम   भी  ,
ज़रा   निकलो   इन   ढकोंसलों   से   बाहर   तुम  , 
और   जानों   सत्य   कारण  , तुम्हारी  , सफलता   असफलता  का   ,
अगर   दुश्मन   भी   है   बीच  ,  तो   पहचानों   उसे   ,
और   जीतो   उसे   प्यार   से   ,  व्यवहार   से   या   युद्ध   से  ,
पर   न   लटकाओ   नज़र   बट्टू   ये   घर   बाहर    , 
और   दिखाओ   न   के   तुम   भी   हो   अन्धविश्वास   का   हिस्सा   ,
जो   स्वयं   के   सफल   होने   को   , 
अपनी   अबोध   संतान   तक   की   बलि   देते   हैं  ,
या   दण्डित   करते   हैं   स्वयं   को   , 
या   किसी   की   हत्या   तक  हैं  कर   देते  ,
या   बलि   देते   भगवान्   को   तुष्ट   करने   को   ,
या   फिर   फेंक   आते   हो   ग्रहों   का   टाला   चौबाटे   में  ,
उन   स्वस्थ मन   अबोधों   को   भी ,  अपनी   लप्पेट   में   लेने   को  ,
क्या   करूँ   अपेक्षा   टूटेंगे   नज़र   बट्टू   ये   सब   ,
और   घर   लगेगा  घर   , घर   बाहर   , सब   ओर   ?
और   लौटोगे   तुम   भी   सत्य   की   ओर   ,  और   करोगे   स्वयं   का   ,
बिना   परदे   के   अंगीकार   ? अगर   हाँ  ,  बधाई   हो   तुम्हें  ,
अगर   ना   तो   लटकाओ   तुम   भी   नज़र   बट्टू   दो   चार  ,
और   भले   चंगे   घर   को   राक्षस    रूप   देदो    , 
और   धकेलो   देश   को   फिर   गुलामी   की   ओर   ,
स्वयं   को   , रख   भुलावों   में  !!


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