समंदर भी गया और सेतु भी गया ,
रह गया तो बस राम , जीवन में मेरे ,
श्यमन्तक भी गया और माखन भी गया ,
रह गया तो बस श्याम जीवन में मेरे !!
............
मन मेरे ज़रा होश में आ ,
क्यों मचलता है , मदहोशी में ,
कौन वस्तु तुम्हें नहीं हासिल ,
तेरे बस में हैं समंदर सात ,
ज़रा हाथ बढ़ा , तोड़ तारे ला ,
चाँद है तेरी बंद आँखों में ,
इन्द्रधनुष सतरंगी , उपलब्ध तुझे सपनों के ,
ललचाये क्यों भीख को तू ,
क्यों हाथ उठाये वर मांगे तू ,
तू पूर्ण है , ना अधूरा बन ,
सम्पूरणता को सजा जीवन में ,
मन मेरे ज़रा होश में आ ,
क्यों मचलता है , मदहोशी में !!
रह गया तो बस राम , जीवन में मेरे ,
श्यमन्तक भी गया और माखन भी गया ,
रह गया तो बस श्याम जीवन में मेरे !!
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मन मेरे ज़रा होश में आ ,
क्यों मचलता है , मदहोशी में ,
कौन वस्तु तुम्हें नहीं हासिल ,
तेरे बस में हैं समंदर सात ,
ज़रा हाथ बढ़ा , तोड़ तारे ला ,
चाँद है तेरी बंद आँखों में ,
इन्द्रधनुष सतरंगी , उपलब्ध तुझे सपनों के ,
ललचाये क्यों भीख को तू ,
क्यों हाथ उठाये वर मांगे तू ,
तू पूर्ण है , ना अधूरा बन ,
सम्पूरणता को सजा जीवन में ,
मन मेरे ज़रा होश में आ ,
क्यों मचलता है , मदहोशी में !!
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