Monday, 13 February 2012

समंदर  भी  गया  और  सेतु  भी गया ,
रह  गया  तो  बस
राम , जीवन  में  मेरे ,
श्यमन्तक  भी  गया  और माखन  भी  गया ,
रह  गया तो  बस  श्याम  जीवन  में  मेरे !!

............
मन मेरे  ज़रा  होश  में  आ ,
क्यों  मचलता  है , मदहोशी  में ,
कौन वस्तु  तुम्हें नहीं हासिल ,
तेरे  बस  में  हैं  समंदर सात ,
ज़रा  हाथ  बढ़ा , तोड़  तारे  ला ,
चाँद  है  तेरी  बंद  आँखों  में ,
इन्द्रधनुष  सतरंगी , उपलब्ध  तुझे सपनों के ,
ललचाये  क्यों भीख  को  तू ,
क्यों हाथ  उठाये  वर  मांगे  तू ,
तू  पूर्ण  है ,  ना  अधूरा  बन ,
सम्पूरणता  को सजा जीवन  में ,
मन  मेरे  ज़रा  होश में  आ ,
क्यों  मचलता  है , मदहोशी  में !!  

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