मेहमान समझ आईयेगा तो मेहमान समझ जाईयेगा भी ,
मेरे सब्र का इम्तिहान न लेना , मेरे मासु नासु मामू जान !
इन इम्तिहानों से मैं , डरता हूँ दसवीं भी नहीं पास हुआ ,
पर बलाओं से छुटकारा पाने की साजिश में मुझे डाक्टर जान !!
घेर चली मुझको आशा निराशा की लड़ी , इक पल को उबरता हूँ , डूबता हूँ दूसरे पल !
ये मोती है गोल मटोल , लुढ़कता ही रहता है , थकता नहीं , और मैं यकदम थक जाता हूँ !!
है मुझको भी पता विपदा तो आनी जानी है , रुकता है कहीं मन ? दिल तो धड़कता जाता है !
पर सोचता हूँ वक्त अगर ठहर जाता , और चुनना होता , तो निराशा को निराश ही लौटा देता ?
कुछ तो परदे में रहने दो , खुल ही गए हैं तो क्या तौबा करलूं ,
वाजिब है प्यार तुम्हारा , पर चर्चे दुनियाँ जहाँ में हों ज़रूरी है ?
जाम पे नाम लिखोगे ? क्या फायदा ? जिस से भी पियूँगा , मेरा होगा !
जाम में जो डालोगे , हलक में उतरेगी ज़रूर , पर ज़हन में नशा तेरा होगा !!
ज़न्नत में भी नाम तेरा चलता होगा , ये जान तसल्ली हुयी ,
मेरा जाना जहन्नुम में पक्का है , इस ज्ञान से खिलीं बांछें मेरी !!
तू बावस्ता है मेरी तकलीफ से इससे फायदा क्या ,
तू तो ज़ख्म कुरेदेगा और तड्पाएगा मज़ा ले लेके !
हिचकी तेरी खतरे से खाली नहीं है , मरते हैं जितने भी गरीब , नाम हैं तेरे ,
जो करे याद और हिचकाये तुझे , मौत तो आनी है उसे और मर के रहेगा !!
मैं चला जाऊं कहीं , गम नहीं , जाने जहाँ ,
बस इक मेरी याद को न गुम होने देना !
मैं तो मरता ही हूँ , इस बार भी मर जाऊंगा ,
याद रह जायेगी तो नाम भी रह जाएगा !
है ये भी ज़रूरी नहीं , इच्छा पर मयस्सर है ,
ज़ज्बात हैं मेरे , न कहूँ तो मर भी न पाउँगा !!
मैं घबरा गया वक्त को तन्हा देखा , और तन्हाई का आलम क्या ? जानता हूँ मैं !
सोचा वक्त को शायरी दूं , या गीत कोई , या रौनक दूं ? तन्हाई ही अच्छी है उसने कहा !!
यूँ ही बर्बाद करोगे , बन कुछ न सकेगा , शब्दों को तोड़ोगे मरोड़ोगे , और सुना दोगे ?
थोड़ी देर बैठो ज़रा , समझो ज़रा , भोगो ज़रा , तड़प दिल तक आने दो , फिर सुन लूँगा !!
अभी तो देख रहा हूँ जहाँ को , जहाँ की हरकत को , हाल देखा तो ठहर थोड़ा गया ,
पर चलता हूँ महसूस न हो ज़मानें को , भूचाल था आया बहला देना , कह के रवाना हुआ !!