Thursday, 4 April 2013

कौन  जाने  तुम  फिर  परिचित  निकलो ,
कौन  जाने  तुम  फिर  गुम   हो  जाओ ,
कौन  जाने  तुम संग  चलोगे ,
कौन  जाने तुम बदला  लोगे ,
कौन जाने ये  सब नाटक  हो ,
कौन  जाने  बंद सब  फाटक हों ,
अब  इस  कौन से  बाहर निकलो ,
स्वछन्द बिताओ ,  जीवन निकलो ,
प्रश्नों  में  मत  घेरो  जीवन ,
उत्तर ,  सबके ,  मिलेंगे निकलो ,
ये  जो अनिश्चितता है पग  पग ,
यही तो जीवन आनंद  है निकलो ,
अंधियारे  उजियारों  में बदलेंगे ,
तुम इक पग , घर  से  बाहर  निकलो !!

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