हल न कर सका हल कोई ,
समस्या किसान की ,
जोतते जोतते , पीढ़ियाँ निकली ,
उम्मीद नहीं समाधान की !
पढ़ भी लिया , गुण भी लिया ,
सबक लिया इतिहास से ,
बीज लिया उन्नत उन्नत ,
क़र्ज़ लिया सरकार से !
पर आज भी सर पर भगवान् खड़ा ,
बारिश मर्ज़ी से देत बड़ा ,
खेतों में पशु आवारा बड़े ,
आज भी सर पर सूखा घड़ा !
बची हालात से जो कच्ची फसल ,
बनियाँ , दलाल मुंह बाए खड़ा ,
हिम्मत टूटी बीच बाज़ार ,
बैंक ब्याज को लेने अड़ा !
कोई हल किसान को दिखा न जब ,
फंदा गले में डाला तब ,
अब सब शांत , न समस्या , न कोई हल ,
न शून्य काल में कोई हलचल !
हाँ , कभी कभार , किसी अखबार ,
छप जाता है कोई समाचार ,
और मैं भी संतुष्ट हो जाता हूँ ,
चलो श्राद्ध ही हो जाता है कभी कभार !!
समस्या किसान की ,
जोतते जोतते , पीढ़ियाँ निकली ,
उम्मीद नहीं समाधान की !
पढ़ भी लिया , गुण भी लिया ,
सबक लिया इतिहास से ,
बीज लिया उन्नत उन्नत ,
क़र्ज़ लिया सरकार से !
पर आज भी सर पर भगवान् खड़ा ,
बारिश मर्ज़ी से देत बड़ा ,
खेतों में पशु आवारा बड़े ,
आज भी सर पर सूखा घड़ा !
बची हालात से जो कच्ची फसल ,
बनियाँ , दलाल मुंह बाए खड़ा ,
हिम्मत टूटी बीच बाज़ार ,
बैंक ब्याज को लेने अड़ा !
कोई हल किसान को दिखा न जब ,
फंदा गले में डाला तब ,
अब सब शांत , न समस्या , न कोई हल ,
न शून्य काल में कोई हलचल !
हाँ , कभी कभार , किसी अखबार ,
छप जाता है कोई समाचार ,
और मैं भी संतुष्ट हो जाता हूँ ,
चलो श्राद्ध ही हो जाता है कभी कभार !!
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