Wednesday, 10 April 2013

यहाँ कद के  मुताबिक़ ,
मिलता है  सब कुछ ,
और  ये  कद ,
आसमान से  नहीं ,
पाँव छूने से बढ़ता है  आजकल !
इक  बार  अगर ,
ये  कद बढ़ जाए ,
तो जुबां पे  सरस्वती ,
और इशारे पे लक्ष्मी ,
विराजती है  आजकल !
फिर तुम  भी किसीका ,
कद  बढ़ा सकते  हो ,
मालिश  करवा  सकते  हो ,
पाँव दबवा सकते  हो ,
पूजा करवा सकते  हो  आजकल !
पर  ये कद  बढ़ना ,
है  लगातार कदम ,
अपने से  बड़े कद्दावर का ,
कदम है  कहाँ ,ख्याल रखना ,
ज़माना  खराब  है  आजकल !
कभी अपने से  बड़ा ,
बिदक गया ,
और  तुमसे  छोटा ,
झिझक  गया ,
तो कद  बौना  भी  हो  सकता है आजकल !
इसलिए  संभल ,
कद ऊंचा करने  को ,
घर  से  निकल ,
और  जब तक ताड़  न  बनों ,
आत्म सम्मान को घर भूल जाना ,  आजकल !!

 

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