बींध रहा मन का मणका ,
और घूम रही विचार धुरी ,
मनका मणका , चीख रहा ,
क्यों घूम रही , क्यों घूम रही ,
जल धन रे गया ,
जल यश रे गया ,
जल काम गया ,
कुछ बस न रहा ,
हाय ! छोड़ मुझे ,
ये जग भी गया ,
मुझे न जाना रे , पास पिया ,
रम गया मन , इस हास पिया ,
सुन री धुरी , अरे सुन री धुरी ,
किस धुन में तू , घूम रही ?
रे मन , मैं तो बस हूँ ,पास खड़ी ,
जो घूम रही , है विवेक लड़ी ,
संग में अपने , तुझे घुमा रही ,
तेरे अंतर को है , जगा रही ,
त्याग रे मोह तू , इस तन का ,
बिंध जाने दे मन का मणका !!
और घूम रही विचार धुरी ,
मनका मणका , चीख रहा ,
क्यों घूम रही , क्यों घूम रही ,
जल धन रे गया ,
जल यश रे गया ,
जल काम गया ,
कुछ बस न रहा ,
हाय ! छोड़ मुझे ,
ये जग भी गया ,
मुझे न जाना रे , पास पिया ,
रम गया मन , इस हास पिया ,
सुन री धुरी , अरे सुन री धुरी ,
किस धुन में तू , घूम रही ?
रे मन , मैं तो बस हूँ ,पास खड़ी ,
जो घूम रही , है विवेक लड़ी ,
संग में अपने , तुझे घुमा रही ,
तेरे अंतर को है , जगा रही ,
त्याग रे मोह तू , इस तन का ,
बिंध जाने दे मन का मणका !!
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