Thursday, 4 April 2013

अब  ख़बरों में  वो  आता  है ,  जुल्म  जो  कर  जाता  है ,
कुछ  क़त्ल  कुछ  रेप , कुछ  मामलात  रैड टेप ,
कुछ भीगते  हुए  बारिश में , कुछ हालाते  खारिश  में ,
कुछ  सेंकते  धूप ,  कुछ  गिरते  हैं  जो  अंध कूप ,
कुछ प्रचार  किसी  का , कुछ व्यापार  किसी  का ,
खेल  खबरें भी  वही , जो  बिक जाती  हैं ,
नाज़  नखरे  भी  वही  , आँखें  जिनसे सिंक  जाती  हैं ,
कुछ  तो  बदलो  मेरे  यार ,
भार  तुम  भी  उठाओ यार ,
उनको  भी  दो  कुछ जगह उधार,
लिखो उनपर  भी कुछ , जो  बेड़ा लगाएं  पार !!

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