मेरा कुछ था ही नहीं , तो कुछ खोया कैसा ?
कुछ पास होगा नहीं , तो फिर पाया कैसा ?
पर ज़िंदा हूँ जब तक , एहसास है मुझ में ,
तो जो सांझा है सबका , कुछ कर जाएँ ऐसा ?
कुछ पास होगा नहीं , तो फिर पाया कैसा ?
पर ज़िंदा हूँ जब तक , एहसास है मुझ में ,
तो जो सांझा है सबका , कुछ कर जाएँ ऐसा ?
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