Tuesday, 9 April 2013

एक ही  गमछा ,  एक  ही  कच्छा ,
चले स्नान को  बच्चम ,  बच्चा ,
हो  हो  करते ,  ही  ही  करते ,
सीटी  बजाते , चिढ़ते  चिढाते ,
मीलों  पैदल , खेत खलिहान ,
जंगल  मैदान , बीहड़  सुनसान ,
नदी नाले  पे , चश्में झरने पे ,
जाने किस की किस्मत  जगेगी ,
बच्चों की नीयत फिसलेगी ,
कूद ,  छलांगें , माँ  खैरत मांगें ,
बच के  आ  जाएँ , ये  बच्चे ,
बच्चे कौन ?
जो  धक्के मारें ,
अन तारू को , ताल धकेलें ,
नंगे मुंगे , तैरें खेलें ,
मिट्टी को साबुन सा मल  लें ,
दौड़ें , भागें , झील को  मथ दें ,
डालें , बदल बदल कर , सब ,
एक ही  कच्छा , नये के  अभाव में ,
एक  ही  गमछा ,  पोंछन सबका ,
न कोई भेद ,  न  जात का  लफड़ा ,
ऐसा स्नान ,  न गंगा में भी ,
न तन मैला , न मन मैला ,
एक  ही  गमछा , एक  ही  कच्छा ,
चले  स्नान को , बच्चम बच्चा !!

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