बाजू से , सरक जाना हवा सा , सीटियाँ बजाते हुए ,
वो समझे , हम समझ जायेंगे , सरगोशियाँ उनकी !!
ज़ेहन में , हो रही थी खरीद , सब्ज़ी की तरकारी की ,
मंडी में , कहाँ समझ जाते , हम सरगोशियाँ उनकी !!
हर सिम्त होहल्ला था , शोर था , खरीद ओ फरोख्त का ,
ऐसे में मोहब्बत , खुदा ? वाह रे , सरगोशियाँ उनकी !!
जैसे वो अहमक थे सनम , हम भी निकले उतने ही क़रीब ,
सर ऊपर से गुज़र गयीं , ये सरगोशियाँ उनकी !!
वो समझे , हम समझ जायेंगे , सरगोशियाँ उनकी !!
ज़ेहन में , हो रही थी खरीद , सब्ज़ी की तरकारी की ,
मंडी में , कहाँ समझ जाते , हम सरगोशियाँ उनकी !!
हर सिम्त होहल्ला था , शोर था , खरीद ओ फरोख्त का ,
ऐसे में मोहब्बत , खुदा ? वाह रे , सरगोशियाँ उनकी !!
जैसे वो अहमक थे सनम , हम भी निकले उतने ही क़रीब ,
सर ऊपर से गुज़र गयीं , ये सरगोशियाँ उनकी !!
No comments:
Post a Comment