Tuesday, 9 April 2013

नदिया  सबके अंतस में ,
सूखी ?  बहती ?  इच्छा  है !
आग  का  सूरज  अंतस में ,
जलता ? जलाता ?  इच्छा  है !
आकाश बसा  है अंतस  में ,
खाली ?  भरा ?  इच्छा  है ?
प्राण बसा है  अंतस में ,
मृत ?  या  जीवित ? इच्छा है !
गंध का साम्राज्य अंतस में ,
सुगंध ? दुर्गन्ध ? इच्छा  है !
इच्छा  है स्वयं की  अलग  अलग ,
मानव  को  करती ,  विलग विलग ,
मैंने  देखा है ,  गरीब  का  उत्थान ,
मैंने  देखा  है ,  अमीर , शमशान ,
निर्बुद्ध  को  देखा बुद्ध  बने ,
बौद्धों को  देखा , निर्बुद्ध बने ,
ये जो ,  मेरी  मूरत है ,
मैं हूँ इसका स्वयं भगवान् ,
फिर भी  अगर , न इच्छावत हो ,
तो  इच्छा  तेरी  मेरे  राम !!

 

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