Thursday, 4 April 2013

राम  ही  जाने क्यों आता खुदा  याद ,  जब बरबादियाँ  मुंह चिढ़ाती  हैं ?
सब  भेद  मिट  जाते  हैं , जब माथे  पर लिखी  किस्मत  , गर्दन  पे  आती  हैं  !!
 

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