शामिल तो हैं मेरी दुनिया में सब ,पर तेरा सा इदारा नहीं है !!
वक्त दोनों को रख के तराजू में तोलेगा , सही को लिखेगा न मिटने वाली स्याही में !!
किसी का मनोरंजन बनने से पहले , चेहरा संवारूं मैं ,बुरा क्या ?रसिक कोई हो जाये !!
उलझ के रहूँगा तो दूर होगी मंजिल , वक्त को ठहरना आता नहीं है !!
बस साथ मेरे तुम आज हो लो , ज़न्नत को राहों में समेटेंगे हम दोनों !
रास्ता खड़ा है इंतजार करता , मंजिल पे पहुँचाता है , हर जाने वाले को ,
क्या जोड़ना है और क्या छोड़ना है ,मिल के समझ लेंगे , राही हैं दोनों !!
पर क्या मैं क्या हूँ समझता नहीं था , जो दाद को सर अपने चढ़ाया !!
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