झांके महफ़िल में , कोई देखता भी है ?
मुझको तन्हा कर जाती हैं तन्हाईयाँ भी ,
किस्मत अच्छी है जिस्म साथ देता है अभी !
यूँ भुलावों में मैं रहता तो नहीं ,
पर मन है उम्मीद से बर होता नहीं !
कौन करता है साथ मरने की उम्मीद ,
जिन्हें मरना है मुकद्दर से कभी साथ होते नहीं !
बुलंद रखता हूँ तूफानों में भी हौसले अपने ,
जानता हूँ मरना तो एक बार का ही है !
चले आओ देख लो तमाशा कितना हसीं होता है ,
जाम-ऐ-तन्हाई का तन्हाई पे क्या असर होता है !!
सफ़र जारी है हिंदी का भी और अंग्रेजी का भी ,
दोनों का सफ़र साथ साथ चलता है और खलता भी है !!
तारीफों के पुल बाँध गया वो आसमानों में ,
देखते हैं कौन गिरता है कौन सम्भलता है !!
उस मेरे यार की हालत देखो ,
बेटे के जन्म दिन को कटी लकड़ी ,
माँ के देहावसान पे काम आई !!
इक घने जंगल में अँधेरे में अकेले सफ़र करने का जूनून ,
निरक्षर की तरह कवित्त करने का और गानें का सुकून ,
वो क्या समझेगा जो बरसातों में निकला है छाता लेकर ,
अन्जानी राहों का पथिक मौत के साए में जन्म लेता है !!
छोटी सी बगिया में भी फूल नर्गिस का खिला लेते हैं लोग ,
और मैं अंतहीन खेतों को उजाड़ करके चला जंगल की ओर ,
समझ ये के भगवान मिलेंगे तपस्या की अग्नि में जलकर ,
अन्तस्थ ईश्वर को , श्रृष्ट ईश्वर की रचना से अलग करने चला !
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