Sunday, 18 December 2011


  • इक  बार  मोहब्बत  तू  करले  फकीरों  सी  ,

  • कब्र  पे  होगी  दिन  रात  दिया  बाती !!


  • समझा  करो  जानम  तुम  दिल  की  भी  बातें  ,

  • खामोश  मोहब्बत  को  अंदाजे  बयान  देदो  !!


  • शम्मा  के  बुझने  का  अंदाज़  भी  देखो  तुम  ,

  • झांके  महफ़िल  में  , कोई  देखता  भी  है ?


    मुझको  तन्हा  कर  जाती  हैं  तन्हाईयाँ  भी ,
    किस्मत  अच्छी  है  जिस्म  साथ  देता  है  अभी !
    यूँ  भुलावों  में  मैं  रहता  तो  नहीं ,
    पर  मन  है   उम्मीद  से  बर  होता  नहीं  !
    कौन  करता  है  साथ  मरने  की  उम्मीद ,
    जिन्हें  मरना  है  मुकद्दर  से कभी  साथ होते  नहीं !
    बुलंद  रखता  हूँ  तूफानों  में  भी  हौसले  अपने ,
    जानता  हूँ  मरना  तो  एक  बार  का  ही  है !
    चले  आओ  देख  लो  तमाशा कितना  हसीं  होता   है ,
    जाम-ऐ-तन्हाई  का  तन्हाई  पे  क्या असर  होता  है !!


    सफ़र  जारी  है  हिंदी  का  भी  और  अंग्रेजी  का  भी ,
    दोनों  का  सफ़र  साथ  साथ  चलता  है  और  खलता भी  है !!

    तारीफों  के  पुल  बाँध  गया वो  आसमानों  में ,
    देखते  हैं  कौन गिरता  है  कौन  सम्भलता  है !!

    उस  मेरे  यार  की  हालत  देखो ,
    बेटे  के  जन्म  दिन  को  कटी  लकड़ी ,
    माँ  के  देहावसान  पे  काम  आई !!

    इक  घने  जंगल  में  अँधेरे में अकेले  सफ़र  करने  का  जूनून ,
    निरक्षर  की  तरह  कवित्त करने  का  और  गानें  का  सुकून ,
    वो  क्या  समझेगा जो  बरसातों में  निकला  है  छाता  लेकर ,
    अन्जानी  राहों  का  पथिक  मौत  के  साए  में  जन्म लेता  है !!


    छोटी  सी  बगिया  में  भी  फूल नर्गिस  का  खिला  लेते  हैं  लोग ,
    और  मैं  अंतहीन खेतों  को  उजाड़  करके  चला  जंगल  की  ओर ,
    समझ  ये  के  भगवान  मिलेंगे  तपस्या की  अग्नि  में  जलकर ,
    अन्तस्थ  ईश्वर  को , श्रृष्ट  ईश्वर  की  रचना  से  अलग करने  चला !





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