Monday, 19 December 2011

बिन  प्रश्न  जीवन  सून , प्रश्न  ही  जीवन  है  और  जीवन  ही  प्रश्न  है ,
सब  उत्तर  प्रश्न  ही  में  निहित  हैं , प्रश्न  करो  उत्तर  उसे निश्चय विदित है ,
मैं  कौन ?  आया  कहाँ  से ? जाना  कहाँ ?  कौन  मेरा ?  किसका  मैं ?
क्या  पाया ?  क्या  खोया ?  क्या  लक्ष्य  है  ?  क्या  किस्मत , ईश है  क्या ?
और  क्या  इष्ट है  ?  और  भी  अनंत  प्रश्न  सब अनंत  से  उत्पन्न ?
और  हर  प्रश्न  के  अनंत  उत्तर  लिए  प्रस्तुत  होते  है  जीवन  क्षण   ,
और  हम सुविधानुसार  हर  प्रश्न  का वांछित  उत्तर  सही  कर  देते  हैं !!






  • बहुत  बार  अंतर  से  प्रश्न  उठता  है  , काफी  नहीं  इंसान  होना  ?

  • फिर  क्यों  मैं  कभी  हिन्दू  , मुसलमान , इसाई  , बौध  या  जैनी  होता  हूँ ?


  • तमन्नाओं  के  शहर में  भीड़  भड़क्का  था  , रोते  बहुत  थे  लोग  !

  • मिलती  तो  बहुत  हैं  तरसाने  को  , पर  पूरी  नहीं  होतीं  !!


  • फुर्सत  से  सोचेंगे  ज़मीं  भरी  है  के  खाली  है  ,

  • अभी  तो  आसमानों  में  तारे  गिना  करता  हूँ  !

  • किस्मत  से  मुझे  अपने  सितारों  का  पयाम  आया  है  ,

  • शायद  हरफ़  दो  उनमें  ,महबूब  के  भी  शामिल  हों !!


  • हम  पहचानते  हैं  सिर्फ  उनको  , जो  कुर्सी  पर  विराजमान  हों  ,

  • और  फिर  गिला  करते  हैं  , कुर्सी  को  सलाम  होती  है !!


  • सिलसिलेवार  हम  रोये  ज़ार  ज़ार  ,

  • जाने  क्यों  दागों  को  जख्मों  के  हम  छेड़  बैठे  !!


  • वो  समझे  थे  तन्हाई  में  मर  जायेंगे  हम  ,

  • हमको  तन्हाई  में  जीने  का  सलीका  आया  !!


  • सूखे  चिनारों  के  पत्ते  देख  , आग  लगा  , दे दी  हवा  , अजनबी  अनजाने  ने  !

  • दिल  जले  , यादें  जली  , अनजाने  में  , कितने  लोगों  की  , अजनबी  को  क्या  मालूम  !!


  • मुझको  चाहिए  था  उठ  जाना  , गैरों  की  महफ़िल  थी  !

  • पर  जाने  क्यों  गैरों  ने  , सरेआम  दिल  लूट  लिया !!


  • दर्द  इतना  भी  दर्दनाक  नहीं , जितना  बदनाम  हुआ , दर्द  ना  होता  तो , इलाज भी  ना  होता  ! 

  • दर्द  का  होना  नहीं  मरने  का  सबब  , दर्द  की  नज़रंदाज्गी नासूर  हुयी  जाती  है  !!


  • बांटे  नहीं  जाते  अब  सांझ  के  साए  ,

  • मैंने  रातों  को  मिलना  है  और  सायों  से  बिछुड़ना  है !!


  • ज्योति  जला  ले  मन  जीवन  संध्या  भई ,

  • भोर  का  तारा  अब  भोर  को  चमकेगा  !

  • रात  कटेगी  अब  अंतर  ज्योति  से  ,

  • जितना  है  संचित  ज्ञान  , तम  मात्र  उतना  हटेगा  !!


  • दिल  ढूंढता  है  सुकूँ रातों  में  ,

  • दिन  बेचैनी  में  भी  गुज़र  जाता  है  !


  • मैं  उड़ा , उड़ा  , संभालो  कोई  , हाथों  से  जाम  संभालो  कोई  ,

  • मैं  गिरा  तो  उठ  जाऊँगा  फिर से  , पर  जाम मेरा  , खतरों  से  नहीं  खेला  पहले  कभी  ,

  • उलट  जाएगा  और  भरा  अभी  ,अभी  ख़ाली  हो  जायेया  ,

  • और  हलक  मेरा  रोयेगा  बहुत  ,और  हाला  बिन प्यासा  सो  जाएगा  !!



  • खेल  गया  मैं  जीवन  को  जीवन  की  तरह  ,

  • कभी  मैं  हरा  और  वो  जीता  ,

  • कभी  मैं  जीता  और  वो  हरा  !

  • क्षण  भर  की  खुशी , क्षण  भर  का  विषाद ,

  • हर  रोज़  नया  नित  खेल  हुआ  !!

  • अब  भी  खेल  तो  जारी  है  ,

  • और  व्हिसल  है  उसके  हाथों  में  ,

  • पर मैं  मैदान  से  बाहर  जाता  नहीं  ,

  • जाऊंगा  तो  मर  के  जाऊंगा !!














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