Thursday, 22 December 2011

मैं  चलूँ  किसी  डगर , किसी  गाँव किसी  शहर ,
मेरा  चरित्र  साथ जाए  मेरा करम  साथ  जाये !
कभी  देर  ना  हुई  है ,  कोई  लक्ष्य  साधने  में ,
निर्धारण  करो  जब भी , पहला  कदम  बढ़ाओ !
पहला ही कदम विशेष  है , जो अंत तक ले जाये ,
रफ़्तार सही  रक्खो  लम्बे फासले जो  दौड़ना  हो !
रास्ते में  बहुत सी  बाधाएं संग संग भागती  हैं ,
हल  भी  सब  निकलते , जब  पक्के  हों  इरादे !
लालच भी रास्ते  में  कई  हैं भटकाते और लुभाते ,
पर तुम हो राही मजिल के और अंत  तक  है जाना !
मन के  मेरे साथी पहले तोलता  हूँ , फिर प्रिय बोलता  हूँ ,
प्रयत्न मन  से  सब  करलो  अवश्य सिद्धियाँ मिलेंगी !!

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