मेरे दिल में पतझड़ों ने कदम रक्खे हैं !
मैंने तो सारा चमन लूट लिया , पत्ते झाड़ते थे चिनारों के सस्ते में !!
मुझे क्या चाहिए ज़माने से , मुझे तो नीयत से उसने दो रोटी दी है !!
मैं तलाश में हूँ उसकी जो नज़र नहीं आता ,
आता है तो अक्स , और सिर्फ अक्स ,
जो नज़र आता है पर हाथ नहीं आता !!
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