उजड़ना क्या है तुम क्या जानों ,
मैंने घरबार शहर इक उजड़ते देखा है ,
जहाँ जनम लिया खेला कूदा ,
ननिहाल मेरा , पास पड़ोस , बुआ फूफा का घर ,
सब डूबा पानी में , और डूबा स्कूल मेरा ,
महल राजा का , सांडू का मैदान बड़ा ,
जहाँ हवाई जहाज़ तक उतर जाता था ,
वो कचहरी राजा की , जिसमें सुनाई गयी थी सजा मोहन को ,
और इतिहास कि जहाँ फांसी हुई मोहन को भाई के बदले ,
वो लोक गीत मोहना का दर्द भरा , सब डूबा ,
और डूब गया मेरा बचपन , और डूबी जवानी कईयों की ,
किसी का तो जीवन ही रीत गया ,
वो नाल्याँ का नौण , शंमुखेश्वर का मंदिर ,
गोहर ,रंगनाथ का मंदिर पोखर , मेले सब डूबे ,
और डूबा तबत्तन , लुह्णु , पारला बाजार ,
और डूब गया इक संसार ,
और भेंट चढ़ा भाखड़ा बाँध के नाम ,
और मेरे नाम इक शहर रह गया उजड़ा सा ,
जो हर बार निकल आता है झील से बाहर ,
मेरे उजड़े शहर के नासूर लिए ,
पर तुम क्या जानों , उजड़ना क्या होता है !!
मैंने घरबार शहर इक उजड़ते देखा है ,
जहाँ जनम लिया खेला कूदा ,
ननिहाल मेरा , पास पड़ोस , बुआ फूफा का घर ,
सब डूबा पानी में , और डूबा स्कूल मेरा ,
महल राजा का , सांडू का मैदान बड़ा ,
जहाँ हवाई जहाज़ तक उतर जाता था ,
वो कचहरी राजा की , जिसमें सुनाई गयी थी सजा मोहन को ,
और इतिहास कि जहाँ फांसी हुई मोहन को भाई के बदले ,
वो लोक गीत मोहना का दर्द भरा , सब डूबा ,
और डूब गया मेरा बचपन , और डूबी जवानी कईयों की ,
किसी का तो जीवन ही रीत गया ,
वो नाल्याँ का नौण , शंमुखेश्वर का मंदिर ,
गोहर ,रंगनाथ का मंदिर पोखर , मेले सब डूबे ,
और डूबा तबत्तन , लुह्णु , पारला बाजार ,
और डूब गया इक संसार ,
और भेंट चढ़ा भाखड़ा बाँध के नाम ,
और मेरे नाम इक शहर रह गया उजड़ा सा ,
जो हर बार निकल आता है झील से बाहर ,
मेरे उजड़े शहर के नासूर लिए ,
पर तुम क्या जानों , उजड़ना क्या होता है !!
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