सताते भी हैं और बुरा मानों तो कहते हैं , बुरा , न मानो ,
अंदाज़े बयां उनका भी अपना है , और मेरा भी है अपना !!
समंदर भी शायर की औलाद है शायद ,
लहराता हुआ आता है , किनारे से दाद ले जाने !
सब कहते वाह समंदर , वाह क्या बात है ,
ठहरता है , फिर उमड़ आता नयी लहर लेके !!
समस्त पृष्ठभूमियाँ बदल बदल थक गया हूँ , मेरी सूरत फिर भी संवरती नहीं ,
कौन समझाए उसे , असल सोना सोना है , नकली खुशबुयें इसमें मिलती नहीं !!
चले तो जाओ तुम आसमां में , ज़मीं के सितारो ,
चमकते यहाँ भी थे , चमकते वहां भी रहोगे , है पता ,
आना जाना बराबर का है लगा हुआ ,पर कुछ घटा ,
सदाबहार देवानंद न रहे , पर साथ है देव आनंद सदा !!
घाव रिसने लगे , रुधिर दूषित हुआ , कलुषित हुआ मन ,
के मेरा गाँव , देश सब मरने लगा , विध्वन्शियों के हाथ !
करे कौन , आज निर्देशन , इस अनाथ का बन कर जगन्नाथ ,
के जो भी ,आया , नेता कहाने को , दिखा गिरता बिन बात !!
बढती गयी बद्तमिजियाँ मेरी , और वो शाबाशियाँ देते रहे ,
सबक सिखाने का अज़ब तरीका , आज उसने इज़ाद कर डाला !!
मैं जांचता रहा इतिहास उसका , और ,
इधर धज्जियाँ मेरी उडती रही दिन रात !!
मेरी गुस्ताखियों में तुम भी शामिल , क्यों नहीं होते ,
न चाहो तुम बदनामी , तो भी साथ तो आओ ,
बस दो चार चक्कर ही लगायेंगे , घर के उसके ,
ये जिद छोडो न न की , चलो उठो कुछ हौसला कर लो ,
यूँ तो कहते थे यार , जीना यहाँ मरना यहाँ ,
अब दो चार चप्पल के डर से , क्या सारी कस्मे तोड़ दोगे तुम ?
होठों को बंद रखना और बोलना आँखों की बोली ,
तुम रखना चाहती हो इम्तिहानों का सिला जारी ,
तो मैं भी तुमसे अब अबूझ गूढ़ भाषा में ही बोलूँगा ,
अब बताओ , ज़िन्ग्मो , समिन्ग्मों , मैंने क्या बोला ?
आयी लव यू ? अरे कमाल करती हो , मैंने यही बोला !!
अंदाज़े बयां उनका भी अपना है , और मेरा भी है अपना !!
समंदर भी शायर की औलाद है शायद ,
लहराता हुआ आता है , किनारे से दाद ले जाने !
सब कहते वाह समंदर , वाह क्या बात है ,
ठहरता है , फिर उमड़ आता नयी लहर लेके !!
समस्त पृष्ठभूमियाँ बदल बदल थक गया हूँ , मेरी सूरत फिर भी संवरती नहीं ,
कौन समझाए उसे , असल सोना सोना है , नकली खुशबुयें इसमें मिलती नहीं !!
चले तो जाओ तुम आसमां में , ज़मीं के सितारो ,
चमकते यहाँ भी थे , चमकते वहां भी रहोगे , है पता ,
आना जाना बराबर का है लगा हुआ ,पर कुछ घटा ,
सदाबहार देवानंद न रहे , पर साथ है देव आनंद सदा !!
घाव रिसने लगे , रुधिर दूषित हुआ , कलुषित हुआ मन ,
के मेरा गाँव , देश सब मरने लगा , विध्वन्शियों के हाथ !
करे कौन , आज निर्देशन , इस अनाथ का बन कर जगन्नाथ ,
के जो भी ,आया , नेता कहाने को , दिखा गिरता बिन बात !!
बढती गयी बद्तमिजियाँ मेरी , और वो शाबाशियाँ देते रहे ,
सबक सिखाने का अज़ब तरीका , आज उसने इज़ाद कर डाला !!
मैं जांचता रहा इतिहास उसका , और ,
इधर धज्जियाँ मेरी उडती रही दिन रात !!
मेरी गुस्ताखियों में तुम भी शामिल , क्यों नहीं होते ,
न चाहो तुम बदनामी , तो भी साथ तो आओ ,
बस दो चार चक्कर ही लगायेंगे , घर के उसके ,
ये जिद छोडो न न की , चलो उठो कुछ हौसला कर लो ,
यूँ तो कहते थे यार , जीना यहाँ मरना यहाँ ,
अब दो चार चप्पल के डर से , क्या सारी कस्मे तोड़ दोगे तुम ?
होठों को बंद रखना और बोलना आँखों की बोली ,
तुम रखना चाहती हो इम्तिहानों का सिला जारी ,
तो मैं भी तुमसे अब अबूझ गूढ़ भाषा में ही बोलूँगा ,
अब बताओ , ज़िन्ग्मो , समिन्ग्मों , मैंने क्या बोला ?
आयी लव यू ? अरे कमाल करती हो , मैंने यही बोला !!
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