Friday, 2 December 2011

सताते भी  हैं  और बुरा  मानों  तो  कहते  हैं ,  बुरा , न  मानो ,
अंदाज़े  बयां  उनका भी  अपना  है , और  मेरा  भी  है  अपना !!



समंदर  भी  शायर  की  औलाद है  शायद  , 
लहराता  हुआ  आता  है , किनारे  से दाद  ले  जाने !
सब  कहते  वाह  समंदर , वाह  क्या  बात  है  , 
ठहरता  है  ,  फिर  उमड़ आता  नयी  लहर  लेके !!





समस्त  पृष्ठभूमियाँ  बदल  बदल  थक  गया  हूँ  ,  मेरी  सूरत फिर  भी  संवरती  नहीं ,
कौन  समझाए  उसे  , असल  सोना  सोना  है , नकली  खुशबुयें  इसमें  मिलती  नहीं !!





चले  तो  जाओ  तुम  आसमां  में  ,  ज़मीं  के  सितारो  ,
चमकते  यहाँ  भी  थे , चमकते  वहां  भी रहोगे , है  पता  ,
आना  जाना  बराबर  का  है  लगा  हुआ ,पर  कुछ  घटा ,
सदाबहार देवानंद  न  रहे ,  पर  साथ  है  देव आनंद  सदा !!





घाव  रिसने  लगे ,  रुधिर  दूषित  हुआ  ,  कलुषित  हुआ  मन ,
के  मेरा  गाँव ,  देश  सब  मरने  लगा  , विध्वन्शियों के  हाथ !
करे  कौन ,  आज  निर्देशन , इस  अनाथ का  बन कर जगन्नाथ ,
के  जो  भी  ,आया , नेता कहाने  को , दिखा  गिरता  बिन  बात !!





बढती  गयी  बद्तमिजियाँ  मेरी ,  और  वो  शाबाशियाँ  देते  रहे ,
सबक  सिखाने  का  अज़ब  तरीका , आज  उसने  इज़ाद  कर  डाला !!


मैं  जांचता  रहा  इतिहास  उसका  ,  और ,
इधर  धज्जियाँ  मेरी  उडती  रही  दिन  रात !!





मेरी  गुस्ताखियों  में  तुम  भी  शामिल , क्यों  नहीं  होते ,
न  चाहो  तुम  बदनामी ,  तो  भी  साथ  तो  आओ ,
बस  दो  चार  चक्कर  ही  लगायेंगे  ,  घर  के  उसके  ,
ये  जिद  छोडो  न  न  की  ,  चलो  उठो  कुछ हौसला  कर  लो ,
यूँ  तो  कहते  थे  यार ,  जीना  यहाँ  मरना  यहाँ ,
अब  दो  चार  चप्पल  के  डर  से , क्या  सारी  कस्मे तोड़  दोगे  तुम ?





होठों  को  बंद  रखना  और बोलना  आँखों  की  बोली  ,
तुम  रखना  चाहती  हो  इम्तिहानों  का  सिला  जारी  ,
तो  मैं  भी  तुमसे  अब  अबूझ गूढ़  भाषा   में  ही  बोलूँगा ,
अब  बताओ  ,  ज़िन्ग्मो , समिन्ग्मों ,  मैंने  क्या  बोला ?
आयी  लव  यू  ?  अरे  कमाल  करती  हो  ,  मैंने  यही  बोला !!
 



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