समंदर किनारे किनारे निकल गया , और मैं रोती रही रात भर ,
चाहतों का पंछी सवेरे सवेरे उड़ गया , और घूँघट था के बहलाता रहा !!
मैं समझता था इक दोस्त बाकी है ,
रात ने सब परदे फाश किये और कहा कोई नहीं है !
इक जहाँ बाकी है आजमाने के लिए ,
बोल तेरा नाम लेदूं अजमानें के लिए ?
शायद तू घबरा गयी , परदे सब फाश हुए जाते हैं ,
और तैने मेरा नाम भेज दिया , अफ़साने सुनाने में !!
चाहतों का पंछी सवेरे सवेरे उड़ गया , और घूँघट था के बहलाता रहा !!
मैं समझता था इक दोस्त बाकी है ,
रात ने सब परदे फाश किये और कहा कोई नहीं है !
इक जहाँ बाकी है आजमाने के लिए ,
बोल तेरा नाम लेदूं अजमानें के लिए ?
शायद तू घबरा गयी , परदे सब फाश हुए जाते हैं ,
और तैने मेरा नाम भेज दिया , अफ़साने सुनाने में !!
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