जय पलासणियां
Monday, 12 December 2011
मेरे मन शांत रहो , हलचल तो होती है ,
शांत समंदर में भी , जब क्षोभित होता है मन , पर शांत रहो !
मेरे मन शांत रहो , क्षोभन से सदा नाश हुआ ,
विनाश हुआ ,क्यों उद्ग्विन है मन , शांत रहो , मेरे मन शांत रहो !!
लौट आओ मन पंछी रे , स्थितियां विचित्र हुयीं !
धुंध पड़ी मन आँखों में , भेद पड़े नहीं , दिवस या रात ,
आँखों में बस तारे चमकें , और शेष बचा इक शून्य विराट ,
अब कहाँ मिलते ,सांझ सकारे ,वो प्रभु मेरे , हृदय सम्राट !
लौट आओ मन पंछी रे , स्थितियां विचित्र हुयीं !!
अली आया रस चूसन को , फूलो रंग बरसाओ ,
संग लाया रज सेंचन को , फूलो मधु
सरसावो
!
अली तो अली है , अली का संगी , जीवन देता अस सतरंगी ,
गाओ तुम मल्हार , पिया आये हैं , गाओ बसंत बहार ,
फूलो नाचें आज नटराज , रे अली आया !
अली आया रस चूसन को रे अली आया !!
जाए पिया संग खेलूँ होरी , रंग करूँ बेकार ,
कृष्णा क्या रंग भायो , कारा कियो संसार कृष्णा क्या रंग भायो !
काले तन पे पीला पटका , मोर मुकुट सतरंगी ,
होठों में बंसी मोहिनी रसिया , पिचकारी हरहर रंगी ,
करे सरर सरर सराबोर , कृष्णा क्या रंग भायो ,
कारा कारा संसार , कृष्णा क्या रंग भायो ?
जाए पिया संग खेलूँ होरी , रंग करूँ बेकार ,कृष्णा क्या रंग भायो !!
जाऊं कहाँ पिया जिया डरत है , पत्तों सा लहराए , सावन जाए सूना ,
पिया लौट आओ , पिया लौट भी आओ , सावन ही में लौट आओ !
आँगन झूला सूना झूले , आखों को झूरे मेरे ,मैं क्या बोलूँ मौन खड़ी पिया ,तेरी राह निहारूं ,
पिया सावन आयो ,लौट के आओ पिया , जाऊं कहाँ बैरी सावन आयो !!
सिखाये हैं मुझे , सबक मुश्किल सब दुश्मनों ने ,
वर्ना तो मैं सीधा साधा सख्श होता !!
जवाबों की झड़ी में प्रश्न सब गुम हो गए ,
इम्तिहान लेने के बदले दे के आये हम वहां !!
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