उड़न तश्तरी सा रहस्यमयी जान मुझे ,
मेरा सांवरिया मुझे ढूंढ रहा यादों के गलियारों में ,
और मैं लुक छिप जाती ,सांझ ढले पेड़ों के पीछे ,
बादल की ओट , चुनरी का घूँघट खींच खींच ,
और खीज उठता मोहन मेरा , और मन ही मन ,
मैं मुस्कुरा उठती , और सोचती ,
सच में मैं उड़नतश्तरी होती , ले चलती ,
सांवरिया को भी साथ साथ , तारों के संग,
करते दोनों छेड़ छाड़ , दौडाते इन्द्रधनुष को पीछे ,
बादल को झिंझोड़ बारिश बरसाते ,
चाँद का चुम्मा ले लेते दोनों , सूरज को थोड़ा ठंडा करते ,
पर कहाँ है मेरा रंग बिरंगा झूठा सपना ?
अब समेट चलूँ और सांवरिया को मिल जाऊं ,
बहुत देर हुयी तरसाते हुए !!
मेरा सांवरिया मुझे ढूंढ रहा यादों के गलियारों में ,
और मैं लुक छिप जाती ,सांझ ढले पेड़ों के पीछे ,
बादल की ओट , चुनरी का घूँघट खींच खींच ,
और खीज उठता मोहन मेरा , और मन ही मन ,
मैं मुस्कुरा उठती , और सोचती ,
सच में मैं उड़नतश्तरी होती , ले चलती ,
सांवरिया को भी साथ साथ , तारों के संग,
करते दोनों छेड़ छाड़ , दौडाते इन्द्रधनुष को पीछे ,
बादल को झिंझोड़ बारिश बरसाते ,
चाँद का चुम्मा ले लेते दोनों , सूरज को थोड़ा ठंडा करते ,
पर कहाँ है मेरा रंग बिरंगा झूठा सपना ?
अब समेट चलूँ और सांवरिया को मिल जाऊं ,
बहुत देर हुयी तरसाते हुए !!
No comments:
Post a Comment