बिन आँगन का घर मेरा , पर आँगन सूना कहता हूँ ,
बिन आँगन का घर मेरा , पर आँगन टेढ़ा कहता हूँ ,
सर गंजा है , नाखून भी हैं , पर खुजाने न दे अन्ना टोपी ,
सारा देश व्यस्त हुआ , अपना ?नहीं ,पराया भ्रस्टाचार मिटाने को ,
लालू का विरोध तो सच्चा है , चारा खाना महंगा हुआ ,
जूते और थप्पड़ सस्ते हुए , सब मुफ्त में मारे जाते हैं !!
बिन आँगन का घर मेरा , पर आँगन टेढ़ा कहता हूँ ,
सर गंजा है , नाखून भी हैं , पर खुजाने न दे अन्ना टोपी ,
सारा देश व्यस्त हुआ , अपना ?नहीं ,पराया भ्रस्टाचार मिटाने को ,
लालू का विरोध तो सच्चा है , चारा खाना महंगा हुआ ,
जूते और थप्पड़ सस्ते हुए , सब मुफ्त में मारे जाते हैं !!
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