Monday, 12 December 2011



  • सक्षम  को  असक्षम  बनाने  का  तरीका  हमें  आता  है  ?




  • आरक्षण , सब्सिडी   , लालफीताशाही  और  भिक्षा  से  पुराना  नाता  है  !!


  • माये  नी  मुझे  आँचल में  छुपा  पल  दो  पल  ! मैं  कुछ  रो  भी  लूं  , और  ज़मानें  से  छुपा  भी  लूं  !!



  • तू  नहीं  पास  मुझे  है  मालूम  ! पर  तेरे  आँचल  का  साया  भी  असर  रखता  है  जानता  हूँ  मैं  !!



  • मेरा  कोई  दोस्त  या  साथी  कंधे  से  लगा  तो  सकता  है  ! पर  तेरी  छुअन के  अहसास  से  भी  कमतर  है  वो  !!



  • तू  कहीं  दूर  से  ही  माँ  आशीष  देदे  ! मेरा  मन  जो  भारी  है , कुछ  हल्का  हो  जाएगा  !!


  • तेरी  मुश्किल  तो  पल  में  हल  हो  जाती  , अगर  बुलाता  चाहने  वाले  को  !



  • तुझे  चाहता  है  दिलो  जान  से  वो  , और  दिखता है  और  दिखता  भी  नहीं  !!


  • मेरा  सामान  तो  फेंक  आता  तू  समंदर  में  कुछ  न  था  !



  • पर  आता  तो  तू  इक  बार  , और  सच  बतला  देता  , क्या  था  ?


  • आतुर  तो हूँ  तुझसे  मिलने  को  , पर  तेरी  दुनियाँ  में  भूल  भुलैयां  हैं  !



  • और  हर  बार  जहाँ  से  घुसता  हूँ  , वहीँ  निकलता  हूँ  ज़माने  बाद  !!


  • मेरा  जाना  तेरी  दुनियाँ  से  एकदम  आसाँ  हुआ  ,



  • जिसने  दी , ठोकर  दी  , धक्का  ही  दिया  !!


  • सेवा  तो  बहुत  की  तुमने  , पर  छेदा  भी  बहुत  छलनी  की  तरह ,कथनी से  !



  • जो  खून  बना  था  सेवा  से  , बह  निकला  दिल  के  छेदों  से  !!


  • चिरपरिचित  अंदाज़  हैं  सारे  , फिर  भी  इक  नूतनता  नित्यप्रति  झलकती  है  !



  • यूँ  ही  नहीं  दृग  मेरे , मोह  में  अधखुले  रह  जाते  हैं  !!


  • मैं  चिडिओं को  चुग  दे  आऊँ  , मैं  कुत्तों  को  टुकड़ा  डाल  आऊँ  ,



  • मैं  बैलों  को  पेड़ा दे  आऊँ  , मैं  गयिया  को  रोटी  दे  आऊँ  , मैं  लाल  चींटीओं  को  शक्कर  डाल  आऊँ  ,



  • मैं  मछली  को  गोलियां  दे  आऊँ  , मैं  तुलसी  को  अर्पण , जल  कर  आऊँ  , मैं  वट पीपल  के  फेरे  ले  आऊँ  ,



  • ये  सब  नित्य  प्रति  के  थे  कार्य  , जिनमें  झलकता  था  जीवन  दर्शन  , जीवन  का  संरक्षण  ,



  • और  अब  हम  माँ  बाप  , दादी  , असहाए  अपाहिज रिश्तों  को  चुग  , चारा  और  टुकड़ा  डालते  हैं  ,



  • समय  पास  है  जब  हम  इन  सबको  , शोषण  के  बाद  गलियों  में  आवारा पशुओं की  तरह  छोडेंगे  ?


  • सजनी  सजाओ  फूल  वेणी  में  , करो  श्रृंगार  मादक  सा  ,

  • के  मिटाओ  थकान  सारी  आज  पल  में  तुम  ,मैं खेतों  में  सोना  बो  के  आया  हूँ  !

  •  तुम्हारी भीनी  सी  खुशबू  रात्रि  के  पहले  प्रहर  को  जगाती  है  ,

  • जिसे  नहलाती  है  चंदा  से  आई  चांदनी  ,और  सेज  ननद  भौजाई  सजाती  है  .

  • स्वीकार  मेरा  प्रणय  निवेदन  कर  ,मेरा  श्रृंगार  कर  दो  ,

  • और  जीवन  रथ  को  थोड़ा सा  विश्राम  देदो  , इक  बड़ा  उपकार  करदो  !!


  • जियो  न  तुम  परछाइयों  में  , सत्य का  वरण करलो ,

  • जीवन  के  सब  भटकाव  तज , ध्येय  की  शरण चल  दो  !


  • हैरत  से  मर  ही  जाता , देखता  अगर  अचानक  तुझे  ,

  • मेरी  आँखें  खुली  ज़माने  में  कुछ  इस  तरह  के  तेरी  रहमत  के  नज़ारे  हुए  !!


  • कुदरत  के  तेरे  करिश्मों  में  मैं  भी  हूँ  शामिल  ए  खुदा  !

  • देखता  हूँ  नक़ल  मेरी  , तेरी  दुनियाँ में  ,दूसरी  है  नहीं  !!


  • बचपन  से  देखता  हूँ  तमाशा  जिंदगी  मौत  का  , जंग  दोनों  में  है   बराबर चली  हुई  !

  • न  मौत  हारती  है  न  जिंदगी  पस्त  है  , इधर  मैं  मस्त  हूँ  ,उधर  खुदा  मस्त  है  !!


  • मैं  उनको  ढूँढता  हूँ  जिनको  आना  नहीं  है  ,

  • दिल  को  बह्लानें  का  कोई  हो  तो  बहाना  !

  • मेरा  दर्द  कोई  जानेगा  क्योंकर  ,

  • कोई  आवाज़  रोकर  लगायी  नहीं  है  !


  • मैं   भी  चला  जाता  , पर्वतों  के  पार , देखता  शहर  में  ,जीनें  का  अंदाज़  ,

  • पर मेरे  माँ  बापू  , घर  में  अकेले  थे  , बुढ़ापे की  दहलीज़  पे  खड़े  थे  ,

  • अहसास  मुझको  ज़मानें  से  था  ,सिवा  मेरे  उनका  साथी  न  था  ,

  • मैं  रुक  गया  गाँव  में  मेरे  ,जब  तक  जिंदा  वो  घर  में  रहे  ,

  • अब  बेटा  मेरा  अमरीका  गया  , चलो  दुनियाँ दिखाऊँ  कह  के  गया  ,

  • पर  अंतर  में  क्या  है  जानोगे  तुम  ? प्यार  उमड़ा है  क्योंकर  बतादूँ क्या  ?

  • बच्चा  है  होना  बहू को  मेरी  ,और  आया  है  मिलना  मुश्किल  वहां  !

  • मैंने  कहा  मैं  यहीं  ठीक  हूँ  ,पर्वतों  के  पार  मैंने  जाना  नहीं  !!


  • यार  मेरे  , मैं  तुझे  क्या  बताऊँ  ,मैं  ज़ख्मों  को  अपने  छुपाता हूँ  क्यों  ?

  • मैं  तो  बहला  लेता  हूँ  दिलको  मेरे  , कि तुमको  न  हों  मेरी  परेशानियां  !

  • पर  असल  में  असलियत  का  अंदाज़  है  मुझको  ,

  • तेरी  ख़ुशी  को  मैं  देखूँगा  कैसे  और  झेलूँगा  कैसे  ?


  • खुदा  की कसम  है  खुदा  से  न  कम  तुम  ,

  • खुदा  ने  खुद  तुमको  तबीयत  से  बनाया  ,

  • पर  मांगो  खुदा  से , वो  सब  देता  सबको  ,

  • और  तुमने  मुझको  खाली हाथ  लौटाया  !!

    तू  खुदा  का  नाम  न  ले  , आज  मुझे  वो  याद  आये  हैं  !!


  • रंगों  में  जान  डालो  घड़ी भर  के  लिए  , मुझे  मेरे  खुदा  की  सूरत  नज़र  आई  है  !

  • जितनी  बनेगी  बनाऊँगा दिल  से  , खुदा  रहम  करेगा  तो  उसमे  बस  जाएगा  !!


  • रहमतों  का  तेरी  कैसे  रखूँ  हिसाब  , देता  है  जब  भी  कुछ  , निशाँ  उसके  मिटाता  है  तू  !

  • और  मेरे  हिसाब  में , जो  तू  नहीं  देता , बच  जाता  है  , और  उम्र  भर  दर्ज  रहता  है  वहीँ  !!


  • तू  चला  चल  परेशानी  में  भी  पर  गर्दन  न  झुका  , दुश्मन  को  खबर  होगी  तो  वो  हमला  करेगा  !

  • तू  जीता  है  जग  में  तो  अपने  ही  दम  पर  , हिम्मत  को  तेरी  दुश्मन  भी  इज्ज़त  है  देता  !

  • हौसलों  से  किये  हैं  तुने  पहले  भी  अजब  काम  , अब  भी  चार  कदम  परेशानी  के  बाद  , अफसाना  बनेगा  !!


  • मालिक  करम  करना  , रहम  करना  कलम  पर  , जो  लिखूं  ज़मीं  पर  उन्हें  अर्थ  तू  देना  !!

  • मेरी  कलम  है  कमज़ोर  , स्याही  भी  फीकी  है  , रहमत  रही  तेरी  तो  इबारत  नूरी  बनेगी  !!


  • मस्तानों को  मालिक  ने  फितूर  कमती  में  रखा  है  , दिमाग  में  खाना  बस  एक  ही  रक्खा  है  ,

  • मस्ती  ही  समझ  आती  है  , मस्ती  ही  वो  करते  हैं  , मस्ती  ही  वो  खाते  हैं  और  मस्ती  ही  वो  पीते  हैं  !!


  • सामान  तो  काफी  है  मेरे  कच्चे मकान में  , तबाह  बारिश  में  होगा  जब  , कचरा  मिलेगा  !

  • कचरा  भी  रह  जाएगा  ज़मीं  पे  सारा  , लिया  नाम  जो  तेरा  है  , महज  साथ  वो  होगा  !!


  • आवश्यक  नहीं  मुक्ति  के  लिए  सन्यासी  का  चोला  ,

  • जो  करम  तुम्हारा  है  , दिल  से  करो  , मुक्ति  मिलेगी  !!


  • सनम  मेहंदी  से  तूने , हाथों  को  रच  रक्खा  है  , खुशबू  से  अपनी  क्यों  महरूम  किया  है  ?

  • मैं  तो  चाहता  हूँ  श्रृंगार  बिना  तुझको  ,  श्रृंगार लगता  है  मुझको  कोई  पर्दा  किया  है  !!


  • खुदा  के  फज़ल  के  बिना  कुछ  भी  नहीं  हासिल  ,

  • देखे  हैं  फनकार  फरिश्तों  से  , गुमनामी  में  गुम होते  हुए  !


  • रात  चाँद  का  चेहरा  बुझा  बुझा  था  ,

  • फिर  किसी  को  ग्रहण  लगा  था  ,

  • जो  चाँद  ने  महसूस  किया  था  !


  • कुछ  ऐसे  भी  फनकार  ज़माने  में  मिले  ,

  • मेरी  तारों  को  ज़रा  सी  हरकत  दे  गुम  हो  गए  ,

  • और  मैं  उम्र  भर  गूंजता  रहा  , और  ढूंढता  रहा  चाहत  में  ,

  • वो  आयेंगे  और  छेड़ेंगे  दोबारा  ,फिर  कोई  गमक  निकलेगी  मेरे  साज़  से  ,

  • पर  न  हुआ  वो  सब  , अब  टीस सी  उठती  है  और  राग  बिखर  जाता  है  !!


  • तुम  हलके  से  मुस्कुराये  जो  गायन  के  बीच  , गायन  भी  मुस्कुराया  तेरा  ,

  • और  मैं  जो  तेरे  गायन  का  कायल  था  , हलके  से  दिल  को  पकड़  वाह बोला  तो  आह निकली  !!


  • क्यों   मुझे  यादों  के  हवाले  किया  ?घर  तेरा  दूर  न  था  मुझसे  ?

  • क्यों  मुझे  ख्यालों  को  बहलाने  दिया  ?दर  मेरा  पास  तो  था  तेरे  ?

  • सपनों  ने  नींद  मेरी  नींद  न  रहने  दी  , और  तू  दिन  में  भी  सोता  रहा  चादर  तान  ?

  • जान  कर  अनजान  बने  फिरते  हो  , और  इलज़ाम  मेरे  सर  रखते  हो  ? बेपरवाह  हूँ  मैं  ?


  • जाने  क्या  तू  तेरे  बंधन  कितने  हैं  हसीं  ,

  • मीलों  दूर  निकल  के  भी  वापिस  आने  को  मन  करता  है  !!























































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