स्वयं में स्थित हो कर , हो कर ध्यानस्थ , करता है जयनारायण कश्यप , भगवद आवाहन !
स्वयं प्रगट हो , गणेश ,लक्ष्मी , विष्णु , ब्रह्मा , महेश , संग सरस्वती , दुर्गा , कालिका ,
पूर्ण प्रकृति , सब दिशाएँ , इन्द्र , अग्नि , वायु , जल , पृथ्वी , आकाश , वाहन सहित !
हनुमंत पताका हों स्थित , ज्ञात , अज्ञात सभी देवताओं सहित , दें स्नेहाशीर्वाद समस्त जन को ,
सम्पूरण करें स्वमेव की शक्तियों से स्वमेव की तरह , रहे न अपूर्णता कोई हे परमात्मन !!
स्वयं प्रगट हो , गणेश ,लक्ष्मी , विष्णु , ब्रह्मा , महेश , संग सरस्वती , दुर्गा , कालिका ,
पूर्ण प्रकृति , सब दिशाएँ , इन्द्र , अग्नि , वायु , जल , पृथ्वी , आकाश , वाहन सहित !
हनुमंत पताका हों स्थित , ज्ञात , अज्ञात सभी देवताओं सहित , दें स्नेहाशीर्वाद समस्त जन को ,
सम्पूरण करें स्वमेव की शक्तियों से स्वमेव की तरह , रहे न अपूर्णता कोई हे परमात्मन !!
मेरी जिंदगी में तू है , सिर्फ तू , बहुत है जिंदगी !
मेरी चाहतें भी तू है , राहतें भी तू , है न जिंदगी ?
मेरे सपने , मेरे वादे , मेरी कसमें , मेरी यादें ,
सबमें है शामिल तू , तुझमें हूँ मैं , मेरी जिंदगी !!
मेरा काम भी तू , आराम भी तू , नज़र भी तू ,
और नज़राना भी तू , तो कहाँ हूँ मैं , यार ज़िन्दगी !!
मेरी जिंदगी में तू है , सिर्फ तू , बहुत है जिंदगी !........................
वो पूछते हैं मुझसे , कहीं झूठ तो नहीं ?
मेरा सपना , मेरा वादा , ये रातों में जगना ,
डरना हर आहट पे , चौंक के सहम जाना ,
वो फोन की घंटी , वो मिस कॉल , क्यों सुनता है कोई ,
मेरे सोनल सपनों में , क्यों गूंजता है कोई ,
झूठी वो ट्यूशन , झूठा किताबों का बोझ ,
फिर रिजल्ट का आना , होना फेल , फेल , फेल , फेल ,
बिसरना फिर , मेरा , मैरिट में आना , लगना ,
दांव पर जिंदगी , उड़ जाना अपनों की नींद ,
मुझे सब याद है , वो तड़प और अवसाद , और
वो पूछते हैं मुझसे , कहीं झूठ तो नहीं ?
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