Monday, 17 October 2011

मेरी  खुल  के  ये  हंसने  की    जो  आदत  है  ,  है  तेरी  बख्शी  हुई  दौलत  के  खजाने  का  सबब !!
जुड़  जाता  हर  रोज़  ,  अजाने  से  ,  तेरा  रक्षक , तीक्षण    कांटा  बन   ,  सब   मेरी  कद्रदानियाँ  हैं  !!
मेरा  होना  है  तेरी  कुदरत  का  कमाल  ,  और  तेरा  टिकना  ,  घड़ी  भर  को  यहाँ  ,  समझदारियां   हैं  !
शामिल  है  ज़माना  तेरी  खुशियों  में  बराबर  से  सदा  ,और  जुड़ा  होना  कांटे  सा  मेरा  ,  परेशानियाँ  हैं  ?

मेरे  खजाने  में ,जितने  मोती ,  सब  यहाँ  ?  तेरी  आँखों  से  झरे  शबनम हैं !
जितने  गिरे  दामन  में  मेरे ,  सब   अदब  से  उठाये  ,  संजोये  ,  पुरनम  हैं  !!

तेरी  खामोश  निगाहों  को  क्या  कहिये  ,  मेरे  आंगन  की  ये  रौनक  तेरी  बख्शीश  है  सब  !
मेरी  खुल  के  ये  हंसने  की    जो  आदत  है  ,  है  तेरी  बख्शी  हुई  दौलत  के  खजाने  का  सबब !!

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