मुझे मेरे मायने समझा गया कोई , हल्के से इशारा भर कर गया कोई !
मैं तो कहीं दूर खोया था सपनों में ,हक़ीकत को हक़ीकत से मिला गया कोई !!
मेरा जाना उनको भा गया , औपचारिकता से बंधे हुए थे ,
आओ बैठो तो कहना पड़ा था , घंटा भर तो सुनना पड़ा था !
इलाके का नेता था मैं , अदब तो समझो दिखाना पड़ा था ,
आखिर एक एहसान था उनपर , वोट का क़र्ज़ था चुकाना पड़ा था !
पर आखिर ये ज़ाहिर क्योंकर हुआ ? अलविदा का उत्तर जो देना पड़ा था !!
मैं तो कहीं दूर खोया था सपनों में ,हक़ीकत को हक़ीकत से मिला गया कोई !!
मेरा जाना उनको भा गया , औपचारिकता से बंधे हुए थे ,
आओ बैठो तो कहना पड़ा था , घंटा भर तो सुनना पड़ा था !
इलाके का नेता था मैं , अदब तो समझो दिखाना पड़ा था ,
आखिर एक एहसान था उनपर , वोट का क़र्ज़ था चुकाना पड़ा था !
पर आखिर ये ज़ाहिर क्योंकर हुआ ? अलविदा का उत्तर जो देना पड़ा था !!
जाओ जी जाओ तरसाते क्यों हो ,
मना करके फिर बुलाते क्यों हो !!
घूरते हो , माथे पे बल डाले ,
टेढ़ी आंख से , डराते क्यों हो !!
मैंने तो बस यूँ ही दिल्लगी की थी ,
अकड़ते इतना हो तो , घबराते क्यों हो !!
मुझे भी तो थोड़ा सा हक़ दे दो ,
जानते तो हो , शर्माते क्यों हो !!
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