माँ तुझे सलाम
माँ मैं कैसे तेरी कृपा से उरिण हूँगा ! मुझे खुद नहीं पता ! शायद दुबारा श्रृष्टि होने तक नहीं ! और मैं जानता हूँ , मुझे दुनिया मैं लाने के लिए , तुमने क्या क्या नहीं सहा है ! अभी मेरी नींव भी नहीं राखी गयी थी की तैने मेरे स्वागत की तैयारियां कर लीं ! मैंने अंडाशय से चलना शुरू ही किया था कि , तुमने मेरा बिछोना तैयार कर लिया ! और जैसे ही मेरा निषेचन हुआ , तूने मुझे आधार दिया ! तूने मुझे मखमली चादर में लपेट लिया ! आधार मिलते ही जैसे मेरे पंख लग गए ! मैं एक कोशिका से दो , फिर चार , फिर आठ कोशिका वाला हो गया ! मेरा भोजन पानी तेरे शारीर से आना शुरू हो गया ! धीरे धीरे मेरा आकार बढ़ता गया और तेरी मेहरबानिया बढती गयी ! तूने अब मुझे गर्भनाल से जोर दिया ! क्योंकि मेरी आवश्यकताएं बढ़ गयी थीं , इसलिए मेरी भोजन व्यवस्था खून से होने लगी ! मेरे बढ़ने के चलते मेरे शरीर से जो विष उत्सर्जन होता , उसे बाहर निकलने का जिम्मा भी , तूने ही ले लिया . तू अपने शरीर में ले जाके मेरे उत्सर्जित विषों को , बाहर निकाल के दोबारा उसमे भोजन डाल के , लगातार मेरा पोषण करती गयी ! धीरे धीरे मेरा रूप निखरने लगा , मेरे अंग प्रतत्यंग पहचान में आने लगे ! तेरा भी आकार परिवर्तन होने लगा ! लोगों की नज़रें तुम्हारे पेट तक चली आतीं ! तू घबराई नहीं ! तैने हर हाल में मेरा संरक्षण किया ! खुद बीमार भी पड़ी तो औषधियों से परहेज़ किया ताकि मुझे कोई हानि न पहुंचे ! स्वास्थ्य सेवा विभाग से संपर्क किया और जो भी सलाह मिली उसका मेरी भलाई में उपयोग किया ! मेरी भलाई के लिए हजारों किसम के परहेज़ किये ! अब मेरे हाथ पैर भी चलने शुरू हो गए थे ! मैं लात घूंसे चलता तो तू बजाये बिगरने के खुश होती ! अभी मेरे पैदा होने में समय था , पर मेरे लिए जन्म के बाद के लिए , दूध की व्यवस्था पहले से करनी आरंभ कर दी थी ! तुझे ये भी पता था के मेरे जन्मते समय बेहद कष्ट होता है ,और प्राणांत भी हो सकता है ! पर तू घबरायी नहीं और निर्भय होकर ठीक समय का इंतज़ार किया ! हालाँकि पैदा होते हुए मुझे भी कष्ट झेलने परे पर वो तेरे कष्टों के सामने कुछ भी नहीं थे ! माँ , मुझे इस संसार में लाने के लिए लाख लाख शुक्रिया ! मुझे ये भी पता है कि मैं कितना स्वार्थी हूँ ! अगर गर्भ में तुझे भोजन कि कमी होती तो भी मैं तुमसे जबरदस्ती अपना भोजन खींचता रहता ! इसी लिए तो कई मुझे परजीवी कि संज्ञा भी देते हैं ! पर तू उनसे कभी सहमत नहीं हुई ! क्या इससे मैं कभी उरिण हो सकता हूँ ? शायद कभी नहीं !!
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