Saturday, 29 October 2011


जिंदगी  आसां तो  नहीं  , और  इतनी  मुश्किल  भी  नहीं  !
सुकून  से  , हिम्मत  से  , बनालो  इसे  अपनी  !!

तेरी  हिम्मत  की  दाद  देता  हूँ  , चढ़ते  हिमाला  हो  , रुख  है  समुंदर  का  !!

ख्वाहिशें  ज़रा  कम  रखना  , जिंदगी  इक  बुलबुला  है  !
मरता  समंदर  है  , मरता  सूरज  भी  !
जिंदगी  सब  की  है , और  सबकी  जिंदगी  है  !!

ठहरा  ठहरा  दर्द  का  समंदर  है  , चाँद  निकलेगा  , ज्वार  आयेगा  !
फिर  सुबह  होगी  उतरेगा  खुमार  , कौन  कहता  है  , दर्द  ठहर  जायेगा  !!

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